Gst Council 22nd meeting update:
1. Turnover for composition scheme raised from ₹75 Lakhs to₹ 1 crores.
2. E-way bill provisions deferred till April 2018.
3. Reverse charge to be abolished till 31.03.2018.
4. Quarterly returns for taxpayers with annual turnover less than ₹1.5 crores. Tax to be paid on monthly basis.
5. Not required PAN now for rs 2 lac purchase of gold
GST council mein major decisions taken today :
1. Cloth pe tax reduced to 5% from 12%.
2. 60 items tax reduced to 5% from 12%.
3. Restaurant Tax reduced to 12% from 18% GST.
केंद्र सरकार ने शुक्रवार 06.10.2017 को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के तहत कई तरह की छूटों की घोषणा की। इन छूटों से छोटे कारोबारियों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2018 तक सभी एक्सपोर्टर्स का ई वॉलिट बनाया जाएगा। एक्सपोर्टर्स का फंसा हुआ पैसा मिलेगा
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद में एक्सपोर्टर्स की समस्या पर विचार हुआ। जीएसटी लगने की वजह से एक्सपोटर्स का क्रेडिट काफी ब्लॉक हो रखा है, जिसका असर उनकी कैश लिक्विडिटी पर पड़ा है। जेटली ने कहा कि इसका डेटा तो उपलब्ध है लेकिन तुरंत रीपेमेंट व्यवस्था धीरे-धीरे बन रही है। उसमें थोड़ा समय लगेगा। ऐसे में तय हुआ है कि 10 अक्टूबर से जुलाई का और 18 अक्टूबर से अगस्त का रीफंड प्रोसेस करके एक्सपोटर्स को चेक से भुगतान कर दिया जाएगा। यह केवल अंतरिम व्यवस्था होगी।
कंपोजिशन स्कीम का दायरा 75 लाख से एक करोड़ हुआ- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंझोले और छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए कंपोजिशन स्कीम का दायरा बढ़ा दिया है। इस स्कीम में पहले 75 लाख के टर्नओवर वाले कारोबारी थे, अब इसे बढ़ाकर इसमें एक करोड़ तक के टर्नओवर वालों को भी शामिल कर लिया गया है। जीएसटी के तहत इस स्कीम में 3 प्रकार के लोग आते हैं। पहला ट्रेडर्स जो एक फीसदी टैक्स देंगे, दूसरा मैन्युफैक्चरर्स जो दो फीसदी टैक्स देंगे और तीसरा रेस्तरां बिजनस वाले, जिन्हें 5 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा। अब दायरा बढ़ जाने से तीनों तरह के कारोबारियों को राहत मिलेगी। सर्विसेज को इस स्कीम में शामिल नहीं किया गया है।
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डेढ़ करोड़ तक के टर्नओवर वाले अब 3 महीने पर भरेंगे रिटर्न -वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के तहत अबतक के टैक्स कलेक्शन से पता चला है कि बड़ा हिस्सा बड़े कारोबारियों से आ रहा है। हालांकि जीएसटी सिस्टम में मंझोले और छोटे कारोबारियों की संख्या भी काफी है। ऐसे में उन्हें जीएसटी की जटिलताओं से परेशान होना पड़ रहा है। उन्हें राहत देते हुए डेढ़ करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को भी तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करने की छूट देने का फैसला हुआ है। जेटली ने कहा कि इससे करीब 90 फीसदी टैक्स पेयर्स को राहत मिलेगी।
जीएसटी काउंसिल ने कई वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स घटा दिया है। ऐसी करीब 27 चीजें है जिनपर राहत मिल गई है। स्लाइ्स ड्राइड मैंगो पर जीएसटी 12 से 5 फीसदी, खाखड़ा व प्लेन चपाती पर 12 से 5, बच्चों के पैकेज्ड फूड पर 12 से 5, अनब्रैंडेड नमकीन पर 12 से 5, अनब्रैंडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर जीएसटी 12 से 5 फीसदी कर दी गई है। इसके अलावा प्लास्टिक, रबर वेस्ट पर जीएसटी 18 से 5 फीसदी जबकि पेपर वेस्ट पर 12 से 5 फीसदी कर दी गई है। मार्बल और ग्रेनाइट को छोड़कर दूसरे स्टोन, स्टेशनरी, डीजल इंजन के पार्ट्स पर जीएसटी 28 से 18 फीसदी कर दी गई है। ईवेस्ट पर जीएसटी 28 से 5 फीसदी कर दी गई है। सर्विसेज में जरी के काम और आर्टिफिशल जूलरी पर जीएसटी 12 से 5 फीसदी कर दी गई है।
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नजरिया:
1. डेढ़
करोड़ रुपये तक के टर्नओवर
वाले कारोबारियों को हर महीने
जीएसटी रिटर्न भरने से छूट.
तीन
महीने में भर सकेंगे
जीएसटी.
2.एक
करोड़ तक की कमाई वाले रेस्तरां
मालिकों को अब 5
फ़ीसदी
टैक्स देना होगा.
3.रिवर्स
चार्ज से व्यापारियों में
भ्रम फैला.
रिवर्स
चार्ज की व्यवस्था 31
मार्च
2018
तक
स्थगित.
4.निर्यातकों
को दुनिया के बाज़ार में
प्रतियोगिता करनी होती है,
इस
मुद्दे पर बनी एक कमेटी की
सिफ़ारिश में कहा गया
कि निर्यातकों का क्रेडिट
काफ़ी ब्लॉक हुआ है.
10 अक्तूबर
से निर्यातकों को जुलाई,
अगस्त
का रिफंड दिए जाने का
फ़ैसला किया गया.
कमेटी
ने एक समाधान सुझाया है,
जीएसटी
में छूट नहीं है,
इसलिए
हर निर्यातक के लिए ई वॉलेट
बनेगा.
अप्रैल
2018
से
ई वॉलेट व्यवस्था पर काम शुरू
करने की कोशिश होगी.
5.कलेक्शन
के पैटर्न में टैक्स का बड़ा
हिस्सा बड़े प्लेयर्स से आता
है.
मझोले
व्यापारियों में बड़ा हिस्सा
मिलों से आता है और
छोटे व्यापारियों पर टैक्स
भरने का दबाव ज़्यादा है.
इस
दबाव को कम करने की कोशिश होगी.
6.कम्पोज़िशन
स्कीम के तहत सीमा बढ़ाई गई
है,
इसकी
सीमा 75
लाख
रुपए से बढ़ाकर 1
करोड़
रुपए की गई है.
इस
स्कीम
में ट्रेडिंग (
एक
करोड़ के टर्नओवर पर एक प्रतिशत
,
मैन्यूफ़ैक्चरिंग
को 2
प्रतिशत
और रेस्त्रां को पांच फ़ीसदी
टैक्स
देना पड़ेगा.)
7.एक
करोड़ रुपए से ज़्यादा के टर्न
ओवर वाले रेस्त्रां पर लगने
वाले कर ढांचे में बदलाव पर
विचार किया जाएगा
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