जी. एस. टी के अनुसार सभी Registered Dealer को अपने मुख्य व्यापार की जगह पर अपने सभी वयावसायीक रिकार्ड रखने चाहिए, वयावसायीक रिकार्ड रखने का उत्तर दायित्व निम्न व्यक्तियो का है:-
1. व्यवसाय के मालिक / warehouse या गोदाम का देखभाल करने वाला |
२. प्रत्येक Transporter का|
३. जिस कंपनी का Turnover पिछले वित्तिय वर्ष में 2 करोड़ से ऊपर है , उस व्यक्ति / कंपनी को अपना खाताबही किसी Chattered Accountant या Cost Accountant से आडिट करवाना जरुरी है |
जी. एस. टी. के अनुसार हमें कौन सा रिकार्ड रखना जरुरी है :-
प्रत्येक रजिस्टर्ड व्यापारी काम निम्न रिकार्ड रखने जरुरी है |
1. माल के उत्पादन का रिकॉर्ड |
2. माल के फैक्टरी में या गोदाम मे आने व जाने का रिकार्ड |
3. शेष माल का रिकार्ड |
4. आगम कर ( Input Tax) के क्रेडिट का रिकॉर्ड ( Electronic Credit Ledger) |
5. निर्गत कर (Output Tax) का रिकार्ड, उसकी देनदारी का रिकार्ड एवं भुगतान किये जा चुके कर का रिकार्ड (Electronic Liability and Electronic Cash Leadger) |
6. माल के खरीद व बिक्री का रजिस्टर |
अपने खाता बही को कब तक सुरझित रखना जरूरी है:-
जी. एस. टी. के नियम के अनुसार प्रत्येक रजिस्टर्ड व्यापारी को अपने खाताबही व अन्य रिकार्ड काे कम से कम 72 महीने अर्थात 6 वर्ष तक सुरक्षित रखा जाना जरुरी है |
इस दिन की गणना तत्कालीन वित्तीय वर्ष के रिटर्न भरने के आखिरी दिन से हाेगी |
तत्कालीन वित्तीय वर्ष वर्ष के रिटर्न भरने का आखिरी दिन 31दिसम्बर हाेती है|
जैसे वित्तीय वर्ष 2017-18 के रिटर्न भरने का आखिरी तारीख 31 दिसम्बर 2018 है. अर्थात आपकाे अपने खाताबही और रिकार्ड काे 31 दिसम्बर 2023 तक सुरक्षित रखना पड़ेगा |
जी एस टी से सम्बंधित और जानकारी --
03 अगस्त 2016 को भारतीय कराधान के इतिहास में एक सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जायेगा। इस दिन राज्यसभा में 122 वें संवैधानिक बिल को पारित किया गया। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत देश का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। जी एस टी को वन इंडिया वन टैक्स के रूप में लाया गया , इसके आने के बाद 10 से अधिक तरह के अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गया।
गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स एक समग्र टैक्स है जिसे पुरे भारत में वस्तुओ व सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया है ,यह एक गंतत्व आधारित उपभोग टैक्स है।
गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स एक समग्र टैक्स है जिसे पुरे भारत में वस्तुओ व सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया है ,यह एक गंतत्व आधारित उपभोग टैक्स है।
जीएसटी के अंतर्गत टैक्स के दायित्व का निर्धारण-
जीएसटी के अंतर्गत टैक्स देने का दायित्व हमेशा माल बेचने वाले का हो , यह जरुरी नही है , इसके अंतर्गत कुछ ऐसी भी स्थितियाॅ आती है जब माल की खरीद करने वाले को भी टैक्स का भुगतान करना होता है। इसलिए इसके कर दायित्व को दो भागो मे बाटा जाता है-
- फॉरवर्ड मैकेनिज्म चार्ज (FCM)
- रिजर्व चार्ज मैकेनिज्म (RCM)
फॉरवर्ड मैकेनिज्म चार्ज (FCM) -
इसे हम सामान्य कर भुगतान प्रणाली भी कह सकते है, इसके अंतर्गत माल की बिक्री करने वाला अपने कस्टमर को माल या सेवाओ की बिक्री कर के एक इनवॉइस जारी करता है , जिस पर उसके माल या सेवा के विवरण के साथ ही कर का भी विवरण होता है। , और इन दोनो के मूल्य का इनवॉइस जारी कर देता है, और निर्धारित समय पर उक्त इनवॉइस के कर का भुगतान सरकार को कर देता है, चाहे उक्त कर का भुगतान क्रेता ने किया या नही।
इसलिए इस सिस्टम को हम फॉरवर्ड मैकेनिज्म चार्ज कहते है, यहा कर भुगतान का दायित्व विक्रेता पर है, चाहे उसे कर का पैसा मिले या न मिले।
रिजर्व चार्ज मैकेनिज्म (RCM)
कुछ ऐसी भी परिस्थिति होता है जहाॅ विक्रेता कर के भुगतान के लिए उत्तरदायी नही होता है, उक्त परिस्थिति मे एक जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी को उक्त खरीद किये गए माल पर कर की गणना करते हुए स्वयं कर का भुगतान करना पडता है, इस सिस्टम को हम रिजर्व चार्ज मैकेनिज्म या आरसीएम कहते है,
RCM जीएसटी अधिनियम के धारा 24 के अंतर्गत आती है,
Transport Service आर सी एम के अंतर्गत आते है, इसको विस्तार से जानने के लिए पढे-
जीएसटी से सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए पढे-
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