सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट

जी एस टी  इनपुट टैक्स क्रेडिट के नए नियम आ गए है , जैसा की हम सब जानते है की जी एस टी  के अंतर्गत हमें सिर्फ मॉल पर जोड़े गए मूल्य पर ही टैक्स देना होता है , इसके अंतर्गत हमें जी एस टी -3 बी में खुद के मूल्यांकन के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है, परन्तु अब नए नियम के अनुसार प्रत्येक करदाता के इनपुट कर क्रेडिट की गड़ना उनके आपूर्तिकर्ता के द्वारा अपलोड और करदाता के द्वारा लॉक किये गए चालान या बिल  के आधार पर होगी। 

नए जी एस टी  रिटर्न के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट के नए नियम -

नए जी एस टी  रिटर्न के अंतर्गत अब मॉल की खरीदी करने वाला अब मॉल की बिक्री करने वाले के ऊपर डिपेंड हो गया है नए नियम के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट केवल आपूर्तिकर्ता के द्वारा अपलोड किये गए और क्रेता  द्वारा लॉक किये गए चालान या इनवॉयस ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे के लिए एक वैध दस्तावेज माना जायेगा। 

आपूर्तिकर्ताओं को अगले महीने की 20 तारीख तक एक महीने के दौरान की गई आपूर्ति पर कर देयता का भुगतान करना होगा। आपूर्तिकर्ताओं को जीएसटी पोर्टल पर अपनी आपूर्ति के लिए लगातार चालान अपलोड करने की सुविधा भी होगी। इन चालानों को तुरन्त जीएसटी पोर्टल में क्रेताओं को दिखाया जाएगा और उन्हें लॉक किया जा सकता है। एक महीने के लिए इनपुट कर क्रेडिट की गणना अगले महीने की 10 तारीख तक आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अपलोड किए गए चालानों के आधार पर की जाएगी। नए जीएसटी रिटर्न के अन्तर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट नियमों के अनुसार, अगले महीने की 10 वीं तारीख के बाद आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अपलोड किए गए चालानों को अगले महीने के आईटीसी में सम्मिलित किया जाएगा।



आइए नए जीएसटी रिटर्न के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट नियमों को समझने के लिए एक उदाहरण लें:

उदाहरण - राम प्राइवेट ली. मोबाईल के आपूर्ति का काम करता हे , अप्रैल 2019 में राम प्राइवेट ली. ने श्याम मोबाईल को कुछ मोबाईल की आपूर्ति करती  है , उनके रिटर्न का उत्तरदायित्य निम्न प्रकार से होगी -


चालान या बिल की तिथि राम के द्वारा चालान अपलोड करने की तिथि  राम के रिटर्न का महीना  श्याम के द्वारा इनपुट क्रेडिट का क्लेम 
5 th अप्रैल 2019              25 th अप्रैल 2019      अप्रैल 2019                अप्रैल 2019
15 th अप्रैल 2019                9 th मई  2019       अप्रैल 2019               अप्रैल 2019
30 th अप्रैल 2019               12 th मई  2019      अप्रैल 2019     मई  2019




उपरोक्त तालिका में,

5 अप्रैल 2019 के चालान के लिए, राम प्राइवेट ली. 25 अप्रैल 2019 को चालान/बिल  अपलोड करती हैं। अप्रैल 2019 में आपूर्ति के लिए राम प्राइवेट ली.को अप्रैल 2019 में आपूर्ति पर देयता का भुगतान करना होगा। श्याम मोबाइल अप्रैल 2019 में आपूर्ति पर इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि राम प्राइवेट ली. ने 10 मई 2019 के पहले चालान अपलोड किया है।

15 अप्रैल 2019 के चालान के लिए, राम प्राइवेट ली. 9 मई 2019 को चालान/बिल अपलोड करती हैं। अप्रैल 2019 में आपूर्ति के लिए राम प्राइवेट ली. को अप्रैल 2019 में आपूर्ति पर देयता का भुगतान करना होगा, श्याम  मोबाइल  अप्रैल 2019 में आपूर्ति पर इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि राम प्राइवेट ली. ने 10 मई 2019 के पहले चालान/बिल अपलोड किया है।

30 अप्रैल 2019 के चालान/बिल  के लिए, राम प्राइवेट ली. 12 मई 2019 को चालान/बिल  अपलोड करती हैं। अप्रैल 2019 में आपूर्ति के लिए राम प्राइवेट ली. को अप्रैल 2019 में आपूर्ति पर देयता का भुगतान करना होगा। श्याम मोबाइल मई 2019 में आपूर्ति पर इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि राम प्राइवेट ली. ने 10 मई 2019 के बाद चालान/बिल अपलोड किया है।

इस नयी व्यवस्था के अंतर्गत खरीदार अपनी इनपुट क्रेडिट के लिए पूरी तरह बिक्री करने वाले व्यापारी के ऊपर निर्भर हो गया है , उपरोक्त व्यापारी के जी एस टी रिटर्न भरने के बाद क्रेता व्यापारी के जी एस टी आर 2 में इनपुट क्रेडिट दिखाई देगा , उसको ok  या लॉक करने के पश्चात वह क्रेता व्यापारी के इनपुट क्रेडिट में उपरोक्त इनपुट क्रेडिट उपलब्ध होता है।

जीएसटी के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट आपके खर्च के ब्योरे के हिसाब से निम्न तरीके से ले सकते है , पूरा विवरण जानने के लिए क्लिक करे -

GST INPUT TAKEN ON THESE ACCOUNTING HEAD


जीएसटी के अंतर्गत इनपुट टैक्स क्रेडिट कब मिलेंगा , कैसे मिलेगा , क्यों मिलेगा , किस तरह मिलेगा , इस सवाल का जवाब में असमंजस की स्थिति है , प्रत्येक इनपुट टैक्स क्रेडिट पर अलग अलग विद्वानों का अलग अलग जवाब है , कुछ कहते है कि मिलेगा और कुछ कानून का हवाला देकर कहते है नहीं मिलेगा।  
आखिर जब कानून एक है तो अलग अलग निष्कर्ष क्यों ?



इसके लिए हमें इसका निम्न बिन्दुओ पर गौर करना आवश्यक है -




सबसे पहले हम देखते है की इनपुट क्रेडिट या इनपुट टैक्स क्रेडिट होता क्या है :-


इनपुट क्रेडिट या इनपुट टैक्स क्रेडिट?


सबसे पहले तो हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि इनपुट क्रेडिट (Input Credit) और इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) , दोनों एक ही चीजें हैं। मूल रूप से तो Input Tax Credit ही होता है। इसी Input Tax Credit को संक्षेप में Input Credit नाम दे दिया गया है। इस पोस्ट में भी हम भाषा को सरल रखने के लिए Input Credit शब्द का ही इस्तेमाल करेंगे, जिसका वास्तविक आशय Input Tax Credit ही है।



GST में, Input Credit ही वह व्यवस्था है, जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी एक वस्तु पर दोहरा कर (Dual Taxation) न लगे। यानी कि एक वस्तु पर सरकार को जितना Tax मिलना है, उसका पूरा का पूरा बोझ अंतिम खरीदार या उपभोक्ता (Consumer) पर पड़े। माल खरीद की श्रृंखला (Chain) में बीच में पड़ने वाले कारोबारियों पर उसका बोझ न पड़े। 



इनपुट क्रेडिट क्या होता है?


Input Credit को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि Input Tax और Output Tax क्या होता है। क्योंकि, Input Tax के बदले में ही Input Credit मिलते हैं और Output Tax को चुकता करने में ही Input Credit का उपयोग किया जाता है।

अपनी बिक्रियों (Outward Supply) पर वसूले गए टैक्स को Taxation की भाषा में Output Tax कहते हैं।

    • अपनी खरीदारियों (Input Supply) पर चुकाए गए इस टैक्स को Taxation की भाषा में Input Tax कहते हैं।



Input Credit, दरअसल ऐसे Credit होते हैं, जिनका उपयोग कारोबारी अपनी Output Tax देनदारी चुकता करने के लिए कर सकते हैं। ये Credit उसे उस Tax payment के बदले में मिलते हैं, जो उसने पहले अपनी माल खरीद के साथ कहीं चुकाया होता है। चूंकि ये Credit उसे Input Tax के बदले में मिले होते हैं,  इसलिए इन्हें Input Tax Credit कहते हैं। इसी Input Tax Credit को संक्षेप में Input Credit कहते हैं। इस Input Credit System को और ज्यादा स्पष्ट करने के लिए हम एक छोटा सा Example भी यहां दे रहे हैं—


इनपुट क्रेडिट मिलने और उनके उपयोग की प्रक्रिया



मान लेते हैं कि दो व्यापारी हैं, मोहन और सोहन। मोहन ने सोहन को माल बेचा। इस सौदे में सोहन को GST भी चुकाना पड़ा। इसके बदले में सोहन Input Credit का उपयोग कैसे कर सकेगा, आइए समझते हैं।



स्टेप-1
मोहन अपनी बिक्री रिटर्न GSTR-1 में इस सौदे को दर्ज करेगा। चूंकि यह सौदा सोहन के GSTIN नंबर के साथ दर्ज होगा। इसलिए यह GST Network में सोहन के Account में Show होने लगेगा। सोहन की ओर से चुकाए गए GST के बदले में सोहन के ‘Electronic Credit Ledger’ में Input Credit भी दर्ज हो जाएंगे।



स्टेप-2
सोहन जब अपना खरीदारियों details of inward supply का रिटर्न GSTR 2 भरेगा, तो उसे इसके बेस फॉर्म GSTR 2A में मोहन की ओर से दर्ज सौदा भी दिखेगा। सोहन इसे मान्य (Valid) करके अपने GSTR 2 में कॉपी कर देगा।

स्टेप-3
सोहन जब अपनी बिक्रियों और खरीदारियों के हिसाब से Tax का हिसाब करने के लिएGSTR- 3 भरेगा। वह अपनी टैक्स देनदारी (output tax liability) में इस सौदे पर मिले Input Credit को adjust कर देगा। adjust न कर पाने की स्थिति में वह इनको Carry Forward या Refund का विकल्प भी अपना सकेगा।



मान लिया आपने 5000 रुपए में कोई कच्चा माल खरीदा, जिस पर 12 प्रतिशत GST लगता है। तो माल खरीदते समये आपको GST चुकता करना होगा- 5000*12%=600 रुपए।

यहां आपने Input Tax (खरीदारी पर चुकाया गया टैक्स) चुकाया 600 रुपए। इसके बदले में आपके GST Account में 600 Credit दर्ज हो गए।

उस कच्चे माल से आपने कोई सामान तैयार करके उसे 7000 रुपए में किसी और को बेच दिया। अब आपने इस बिक्री पर जो GST वसूला, वह होगा 7000*12%=840 रुपए।

आपका Output Tax (बिक्री पर लिया गया टैक्स) हो गया 840 रुपए। यानी कि इस सौेदे पर आपको सरकार को चुकाने होंगे 840 रुपए।

अपना Return भरते वक्त पहले आपको कुल 840 रुपए सरकार को देने हैं। तो इसका Payment आप दो हिस्सों में कर सकते हैं।

    • पहले 600 रुपए उस Input Credit से कटवा दीजिए जो आपको अपनी खरीदारी में चुकाए गए 600 रुपए (Input Tax) के बदले मिली है।

    • बाकी बचे 240 रुपए। इन्हें आपको अपने bank Account से जमा करने पड़ेंगे। हालांकि, वास्तविक रूप से इनका बोझ आप पर नहीं पड़ता। क्योंकि, 840 रुपए आप पहले ही Customer से वसूल चुके होते हैं।


यहां हमने Example में सिर्फ एक सामान को अपनी खरीद-बिक्री और Tax Calculation में शामिल किया है। जीएसटी में Return दाखिल करते समय आपको पूरी अवधि की खरीदारियों (Purchases) और बिक्रियों (Sales) के हिसाब से Tax की Calculation और Payment करना होगा। यह अापकी Category के हिसाब से मासिक (Monthly) या तिमाही (Quarterly), जो आप पर लागू हो, हो सकता है। आप Total Credit का उपयोग यहां Payment के लिए कर सकते हैं।





खरीदार और विक्रेता दोनों रजिस्टर्ड होने जरूरी

Input Credit का फायदा आपको तभी मिल सकेगा, जब कि आपने ऐसी जगह से खरीदारी की हो, जो GST System में Registered हो, और सौदे के बाद वह उसे अपने GST Return में दर्ज कर दे। साथ ही आप खुद भी GST System में Registered हों, ताकि वह उस सौदे को आपके Account Number के साथ दर्ज करे। क्योंकि, ऐसा होने पर ही उस सौदे के बदले में Input Credit आपके अकाउंट में दर्ज होंगे

यानी कि आप उत्पादक (manufacturer), सप्लायर (supplier), एजेंट (agent), ई-कॉमर्स आॅपरेटर (e-commerce operator), बिजनेस एग्रीगेटर (Business aggregator) आदि किसी भी Category में जीएसटी के तहत registered हैं तो आप अपनी Purchases के साथ चुकाए गए GST के बदले Input Credit क्लेम करने के लिए पात्र (eligible) होंगे।

अगर विक्रेता (Outward Supplier) या खरीदार (Inward Supplier) में से कोई भी एक GST में Registered नहीं है तो दोनों के बीच हुए किसी सौदे में Input Credit का फायदा खरीदार को नहीं मिलेगा। 

इनपुट क्रेडिट क्लेम करने के लिए अन्य शर्तें

जीएसटी के तहत Input Credit क्लेम करने लिए निम्नलिखित शर्तें भी पूरी होनी चाहिए-

    • आपके पास अपनी खरीदारी (Purchase) पर चुकाए गये GST की टैक्स रसीद (tax invoice) होनी चाहिए। अगर debit note  बदले में Input Credit क्लेम कर रहे हों तो registered dealer की ओर से जारी debit note होना चाहिएं।

    • अगर माल की पूरी खेप (lots) का मामला होता है, वहां पर पिछली खेप पर चुकाए गए GST के बदले में जारी tax invoice पर आप Input Tax Credit क्लेम कर सकते हैं।

    • माल या सेवा के खरीदार (recipient) को टैक्स रसीद (Tax Invoice) जारी होने की तारीख से तीन महीने के अंदर उस सेवा के लिए Payment कर देना अनिवार्य होगा। इसी अवधि के अंदर उस Purchase पर बन रहे Tax का भुगतान भी हो जाना चाहिए।

    • इस बीच अगर आपने बिना Payment के उस Tax Invoice के आधार पर Input Credit प्राप्त कर ली है तो जो भी Credit  वे आपकी टैक्स देनदारी (output tax liability) में जुड़ जाएंगी। साथ ही साथ इन Credit के बराबर रकम का ब्याज भी चुकाना पड़ेगा।

Note: आपकी खरीदारियों पर दूसरी कारोबारी की ओर से जो Tax वसूला गया है, वह उस बिक्रेता कारोबारी (Outward Supplier) की ओर से Government के पास जमा भी हो जाना चाहिए। Cash या Input Credit, किसी भी रूप में। जब वह यह Process पूरी कर देता है तभी आप उस सौदे पर चुकाए गए GST के बदले में Input Credit क्लेम करने के अधिकारी हो सकते हैं। क्योंकि GST Network पर सभी Input Credit के क्लेम मिलान (matched) करने चाहिए और मान्य validated होने चाहिए।

जीएसटी में कितने तरह की इनपुट क्रेडिट मिलती है?

जीएसटी सिस्टम में किसी सौदे पर खरीदार को तीन प्रकार के Input Credit मिलते हैं—

SGST – State GST

एक ही राज्य के दो कारोबारियों के बीच सौदा होने पर राज्य सरकार को चुकाए जाने वाले GST के बदले में मिले Input Credit

CGST – Centre GST

एक ही राज्य के दो कारोबारियों के बीच सौदा होने पर केंद्र सरकार को चुकाया जाने वाले GST के बदले में मिले Input Credit

IGST – Integrated GST

दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच सौदा होने पर, Purchaser की ओर से चुकाया जाने वाले एकीकृत टैक्स (Integrated)  के बदले में मिले Input Credit।

Note: IGST  वह SGST और CGST के योग के बराबर ही होता है। इसमें Export करने वाला राज्य, SGST के बदले में Credit Central Government ko Transfer कर देता है, फिर केंद्र सरकार की ओर से Import करने वाले राज्य को Credit ट्रांसफर कर दी जाती है।

इनपुट क्रेडिट का भुगतान कैसे?

आईजीएसटी का भुगतान-

IGST के भुगतान के लिए SGST, CSGT और IGST, सभी के बदले में मिले Input Credit का उपयोग किया जा सकता हैं।

सीजीएसटी का भुगतान

CGST के भुगतान के लिए, CGST और IGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग किया जा सकता है।

एसजीएसटी का भुगतान

SGST के भुगतान के लिए, SGST और IGST के बदले में मिले Credit का उपयोग किया जा सकता है।

Note:CGST और SGST के इनपुट क्रेडिट एक दूसरे के Output Tax के भुगतान के लिए उपयोग में नहीं लाए जा सकते। यानी कि CGSTके भुगतान के लिए SGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार SGST के भुगतान के लिए CGST के बदले में मिले Input Credit का उपयोग नहीं किया किया जा सकता।

ऐसा हो सकता है कि आप अपनी पूरी Input Credit या उसका कुछ हिस्सा अभी Claim न कर पाए हों। जैसे कि आपने अपनी खरीदारियों पर जो GST चुकाया है वह उस रकम से ज्यादा हो, जोकि आपने अपनी बिक्रियों पर GST इकट्ठा किया है। जाहिर है आपके पास Tax देनदारी चुकता करने के बाद भी Credit बचे रहेंगे।
ऐसे में आपके पास दो विकल्प होते हैं—

    • आप इसे आगे के महीनों के लिए बढ़ा (carry forward) सकते हैं।

    • Credit को वापसी (refund) के लिए भी Claim कर सकते हैं।

Note:अगर आपकी ओर से टैक्स यानी Output Tax कम दिया गया, तो बची हुई देनदारी जब भी आप चुकाएंगे, उसके साथ उसका ब्याज भी चुकाना पड़ेगा। लेकिन अगर आपने अपने Input Credit का उपयोग अभी नहीं किया है तो उन बची हुई Input Credit को आप बाद में कभी भी उपयोग कर सकते हैं, पर सरकार की ओर से आपको कोई Interest नहीं मिलेगा।

इनपुट क्रेडिट क्लेम के लिए यह भी रखें ध्यान

  • आप अपने Input Credit का उपयोग साल भर के अंदर ही कर सकते हैं। यानी कि उसकी रसीद (Invoice) जिस तारीख की होगी, उसके 12 महीने के अंदर आपको Input Credit का उपयोग कर लेना होगा।
  • चूंकि GST को वस्तुओं और सेवाओं, दोनों पर वसूला जाता है, इसलिए Input Credit का उपयोग भी दोनों तरह के सौदों (वस्तुओं और सेवाओं) में किया जा सकता है।capital goods पर भी Input tax credit लागू होता है।
  • जिन वस्तुओं और सेवाओं को आपने अपने खुद के उपभोग के लिए खरीदा है, उन पर Input Tax Credit का फायदा आपको नहीं मिल सकेगा। क्योंकि उन्हें आप अपनी बिक्री में नहीं दिखा सकते।




जीएसटी के अंतर्गत रिवर्स चार्ज

जीएसटी के अंतर्गत कर की राषि को एकत्र करने के संबंध में सरकार द्वारा प्रावधान बनाये गये हैं इसमें सामान्यतया प्रावधान इस प्रकार से है कि कराधेय व्यक्ति द्वारा यदि किसी आपूर्ति को दिया जाता है तो इस आपूर्ति पर सरकार द्वारा कर कराधेय व्यक्ति से एकत्रित किया जायेगा, परन्तु जीएसटी कानून में कुछ अवस्थाएं इस प्रकार से है जिन पर कर की राषि सरकार द्वारा आपूर्ति प्राप्तिकर्ता से एकत्रित की जायेगी, इन्हीं प्रावधानों को जीएसटी के अंतर्गत रिवर्स चार्ज के नाम से जाना जाता है।

केन्द्रीय जीएसटी की धारा 9 की उपधारा 3 के अनुसार उन व्यवहारों पर आपूर्ति प्राप्तिकर्ता द्वारा कर रिवर्स चार्ज में कर जमा कराया जायेगा जो दिनांक 28 जून, 2017 को सरकार द्वारा केन्द्रीय कर (दर) जारी की गयी अधिसूचना क्रमांक 13/2017 में अंकित की गयी है। उदाहरण के तौर पर गुडस ट्रांसपोर्ट एजेंसी की सर्विस, वकील से ली गयी सर्विस, कम्पनी के डायरेक्टर से ली गयी सर्विस इत्यादि शामिल है।

केन्द्रीय जीएसटी की धारा 9 की उपधारा 4 के अनुसार यदि कराधेय व्यक्ति द्वारा ऐसे व्यक्ति से व्यवहार किया जाता है जो जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत न हो तो उस व्यवहार पर कराधेय व्यक्ति द्वारा रिवर्स चार्ज में कर जमा कराना होगा। इस संबंध में दिनांक 28 जून, 2017 को सरकार द्वारा केन्द्रीय कर (दर) की अधिसूचना क्रमांक 8/2017 जारी की गयी है जिसके अनुसार यदि कराधेय व्यक्ति द्वारा राज्य के भीतर कोई आपूर्ति की जाती है जिस पर धारा 9 की उपधारा 4 के अंतर्गत रिवर्स चार्ज की जिम्मेदारी कराधेय व्यक्ति पर आ रही हो एवं कराधेय व्यक्ति द्वारा पूरे दिन में सभी व्यक्तियों द्वारा ली गयी आपूर्ति को मिलाकर यदि कुल राषि 5 हजार रूपये से कम से तो इस पर उक्त अधिसूचना द्वारा कराधेय व्यक्ति को धारा 2 की उपधारा 4 की जिम्मेदारी से मुक्त रखा है।

यहां पर कराधेय व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उक्त अधिसूचना धारा 9 की उपधारा 4 के लिए जारी की गयी है ना कि धारा 9 की उपधारा 3 के लिए। अर्थात यदि कराधेय व्यक्ति द्वारा धारा 9 की उपधारा 3 के अनुसार रिवर्स चार्ज की जिम्मेदारी बनती है तो उस पर कराधेय व्यक्ति को बिना किसी राषि की परवाह किये रिवर्स चार्ज में कर जमा कराना होगा। उदाहरण के लिए यदि कराधेय व्यक्ति द्वारा किसी वकील से आपूर्ति ली जाती है एवं इस आपूर्ति पर कराधेय व्यक्ति द्वारा 3500 रूपये का भुगतान किया गया है जो कि 5 हजार रूप्ये से नीचे है, परन्तु यहां पर कराधेय व्यक्ति को धारा 9 की उपधारा 3 के अनुसार कर जमा करना होगा एवं साथ ही साथ कराधेय व्यक्ति को यह भी ध्यान रखना आवष्यक होगा कि उक्त अधिसूचना के अंतर्गत सिर्फ राज्य के भीतर से दी गयी आपूर्ति पर ही 5 हजार रूपये की सीमा आकर्षित होगी। यदि कराधेय व्यक्ति द्वारा राज्य के बाहर से किसी अपंजीकृत व्यवहारी द्वारा आपूर्ति ली जाती है तो एवं उक्त आपूर्ति का मूल्य 3 हजार रूप्ये है तो कराधेय व्यक्ति द्वारा इस व्यवहार पर भी रिवर्स चार्ज में धारा 9 की उपधारा 4 के अनुसार कर जमा करवाना होगा एवं कराधेय व्यक्ति को यह भी ध्यान रखना आवष्यक होगा कि 5 हजार रूप्ये की सीमा किसी एक बीजक अथवा एक पार्टी पर आधारित नही है, परन्तु यहां कराधेय व्यक्ति द्वारा पूरे दिन में जितने भी आपूर्तिकर्ताओं से आपूर्ति प्राप्त की है उनके मूल्य को धारा 9 की उपधारा 4 की जिम्मेदारी की गणना करने के लिए शामिल किया जायेगा।

केन्द्रीय जीएसटी की धारा 24 के अधिन बिन्दु 3 में वर्णित है कि उन सभी व्यवहारियों को जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत करवाना आवष्यक होगा जिनकी रिवर्स चार्ज में कर जमा कराने की जिम्मेदारी आती हो। अर्थात यदि किसी व्यवहारी द्वारा धारा 9 की उपधारा 4 में कर जमा कराया जा रहा है तो उसे जीएसटी के अंतर्गत अपना पंजीकरण करवाना होगा।

साथ ही साथ यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि यदि कोई ऐसा व्यवहारी है जिसकी आउटपुट आपूर्ति को जीएसटी में करमुक्त रखा गया है, परन्तु इस व्यवहारी द्वारा किसी अपंजीकृत व्यक्ति से आपूर्ति ली गयी है एवं इस आपूर्ति पर कर जमा कराने की जिम्मेदारी उक्त व्यक्ति पर धारा 9 की उपधारा 4 के अनुसार आ रही हो तो इस बात की परवाह किये बिना कि उक्त व्यक्ति की आपूर्ति को जीएसटी में करमुक्त रखा गया है, रिवर्स चार्ज में कर जमा कराना होगा।

छूट जो कि धारा 9 की उपधारा 4 के अंतर्गत 5 हजार रूप्ये प्रतिदिन की दी गयी है उसमें यह ध्यान रखना है कि उक्त राषि अगले दिन में केरीओवर नहीं हो सकती तथा हर दिन छूट की सीमा 5 हजार रूप्ये ही रहेगी। यहां पर यह भी सुविधा दी गयी है कि व्यवहारी उक्त रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत माह का इकजाई बिल भी जारी कर सकता है।

सरकार द्वारा 5 हजार रूपये तक की छूट से आम व्यापारी को काफी राहत होगी तथा उसे छोटे या खुदरा खर्चों पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत कानून के प्रावधानों के अंतर्गत बीजक आदि जारी करने से छूट मिलेगी एवं कागजी कार्यवाही कम होगी।





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोबाइल से आमदनी कैसे करे ( Income from Mobile)

दोस्तो, आज के दौर मे युवा अपने समय की कीमत जानते है, इसलिए वो अपने खाली समय का भी सदुपयोग करना चाहते है,  और वो इस खाली समय के सदुपयोग के लिए पार्ट टाइम जाॅब ढुढते है, लेकिन वह मिलना मुश्किल होता है। तब हमारा ध्यान अपने मोबाइल पर जाता है। हमे पता है कि मोबाइल पर काफी एप्प मौजूद है। जो हमे मोबाइल से आमदनी करने का अवसर दे सकते है। इंटरनेट पर हमे आसाानी से अच्छीआमदनी करनी है तो हमे नीचे दिए गए एप्प से एफिलिएट मार्केटिंग करनी चाहिए।  यहा पर उन एप्प की चर्चा करने जा रहे है, जिससे हमे त्वरित आमदनी शुरु हो सके. यहाँ पर में उन App के बारे में बताऊँगा जिसको मैंने खुद इस्तेमाल किया है और जिससे मैंने खुद Earning की है , तो देर किस बात की है , आप निचे दिए हुए App को देखे और जो आपको अच्छा लगे उसे Join कर ले , ये सभी App फ्री है और आपको तुरंत पैसे देने वाले है - EARNKARO  - सबसे बेहतरीन एप्प , Affiliate Marketing के लिए आदर्श जगह , यह एप्प आपको कमाने के असीमित अवसर प्रदान करता है।  इसको ज्वाइन करने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे -  JOIN EARN KARO APP आप इस एप्प के माध्यम...

टैली का इतिहास (History of Tally Software)

दोस्तो, आओ टैली सीखे के सीरीज में हम सबसे पहले पढ़ते है- टैली का इतिहास। क्योकि हम जिस भी विषय के बारे मे जानकारी रखना चाहते है, तो सबसे पहले उसके इतिहास के बारे में जानकारी लेते है।  हम भी यहाँ Tally के सफर मे शुरुआत से लेकर आज तक के Tally के उत्थान व विकास की यात्रा की जानकारी लेते है।   Tally software के प्रदाता है - Tally Solutions Enterprises Resources Planning Company. इसकी शुरुआत आज से करीब तीन दशक पूर्व होती है जब मि. श्याम सुन्दर गोयनका जी कलकत्ता से बंगलोर अपना टेक्सटाइल का बिज़नेस स्थापित करने को जाते है , उस वक्त व्यवसाय करते हुए उन्हें एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की आवश्यकता  हुई , परन्तु उस वक्त के अधिकांश सॉफ्टवेयर उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।  इस कारण  से उन्होंने अपने बेटे मि. भरत  गोयनका  जो की मैथमेटिक्स में ग्रेजुएट थे , को एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर को डेवलप करने का कार्य सौपा , और इस तरह वर्ष 1986 में Tally solution का जन्म हुआ।  भरत गोयनका जी ने पहले अपने सॉफ्टवेयर का नाम रक्खा था - Peutronics financial Accountant और उन्होंने ...

इंटरनेट से आमदनी करने के आसान तरीके ( On line paise kaise kamaye)

हम जब भी इन्टरनेट पर आमदनी से सम्बंधित कोई भी सर्च करते है, तो हमे तमाम साइट दिखाई देती है, जो हमे बैठे-बैठाये हजारो-लाखो रुपये आमदनी का सब्ज बाग दिखाते है, इस तरह के तमाम दावो के साथ यू-ट्यूब चैनल भरा हुआ है, लेकिन क्या आपको भी लगता है कि यह सब इतना आसान है? क्या यह सब सही है , क्या लोग वाकई मे इतना पैसा कमा रहे है? जी हाॅ, यह सच है कि लोग इससे पैसे कमा रहे है   लेकिन यह सब इतनी आसानी से नही कमा रहे है  , जितना आपको दिखाई पड रहा है।  यहा पर आपको आफ लाइन की अपेक्षाकृत कई गुना ज्यादा मेहनत करना पडेगा,  आफ लाइन की अपेक्षाकृत कही ज्यादा कम्पटीशन के लिए तैयार रहना होगा।  हम यहाॅ इस  लेख मे कैरियर बेस्ड आनलाइन इनकम की चर्चा करेगे, ये ऐसे कार्य है जो अभी नये उभरे है , लाखो लोगो ने इन फील्ड मे कैरियर बनाये है, और आज लाखो कमा रहे है,  कई अभी भी  उस कतार मे है  और दिन रात मेहनत कर रहे है , ऐसे आनलाइन कार्य जिसमे आप अपना कैरियर बना सकते है,  वो निम्न है- ब्लॉगिग से कमाये - (How to Earn from Blogging) - अगर आपमें खुद को व्यक्त करने के लिए ...