जी.एस.टी. के अंतर्गत जो व्यापारी रजिस्टरड है उनको अपने मासिक रिटर्न के साथ ही पुरे वर्ष में एक बार वार्षिक रिटर्न भी दाखिल करना पड़ता है। उपरोक्त रजिस्टरड व्यापारी के अंतर्गत वो व्यापारी भी शामिल है जो कम्पोज़िट स्कीम के अंतर्गत आते है। उपरोक्त वार्षिक रिटर्न के लिए जो फार्म हम भरते है उसे हम GSTR -9 फार्म कहते है
1. GSTR -9 फार्म क्या है ?-
GSTR -9 फार्म के अंतर्गत हम पुरे साल का कुल बिक्री और खरीद का विवरण देते है , तथा यह विवरण हमारे द्वारा दाखिल हुए CGST , SGST, IGST के विवरण से मिलता हुआ होना चाहिए। संछेप में हम यह कह सकते है की पुरे वर्ष भर में हमने जो भी मासिक रिटर्न दाखिल किया उसका सारांश यह विवरण है।
2. GSTR -9 फार्म कौन दाखिल कर सकता है -
वे सभी व्यापारी जो जी.एस.टी. के अंतर्गत रजिस्टरड है , उन्हें GSTR -9 फार्म दाखिल करना अनिवार्य है , सिर्फ निम्नलिखित व्यापारी को ही इसको दाखिल करने से छूट दी गई है -
- कैजुअल कर योग्य व्यक्ति (Casual Taxable Person )
- अनिवासी कर योग्य व्यक्ति (Non-resident taxable persons)
- इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (Input service distributors)
- टी.डी. यस. चुकाने वाला व्यक्ति (Persons paying TDS under section 51 of GST Act.)
कैजुअल कर योग्य व्यक्ति (Casual Taxable Person )
कुछ व्यवसायी उन क्षेत्रो में काम करते है या लेंन देंन करते है जहां उनके व्यवसाय का कोई निश्चित स्थान नहीं होता है। जी.यस.टी. के तहत, एक व्यक्ति जो राज्य में एक निश्चित व्यवसाय का स्थान रखता है और कर योग्य जावक लेन-देन करता है, उसे पंजीकृत करना होगा, यदि उसका कारोबार निर्धारित दहलीज सीमा पार करता है। क्या होगा अगर कोई व्यक्ति उसके जगह पर कर योग्य लेनदेन करता है, जहां उस व्यापार का कोई निश्चित स्थान नहीं है?
यह दो मामलों में हो सकता है:-
- व्यक्ति के पास राज्य में एक निश्चित व्यवसाय है और कभी-कभी वह दूसरे राज्य में कर योग्य लेनदेन करता है जहां उसके व्यवसाय का कोई निश्चित स्थान नहीं है।
- व्यक्ति भारत से बाहर रहता है, लेकिन कभी-कभी भारत में कर योग्य लेनदेन करता है, जहां उसका व्यवसाय या निवास का कोई निश्चित स्थान नहीं होता है।
हले मामले में संदर्भित व्यक्तियों को ‘आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति’ कहा जाता है, यानी ऐसे व्यक्ति जो कभी-कभी एक ऐसे राज्य में कर योग्य लेनदेन करते हैं, जहां उनके पास व्यवसाय का निश्चित स्थान नहीं होता है। आकस्मिक कर योग्य व्यक्तियों के उदाहरण- प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, सर्कस व्यवसाय आदि हैं।
अनिवासी कर योग्य व्यक्ति (Non-resident taxable persons)
दूसरे मामले में संदर्भित व्यक्ति को ‘अनिवासी कर योग्य व्यक्ति’ कहा जाता है, अर्थात जो लोग भारत के बाहर रहते है और कभी-कभी भारत में कर योग्य लेनदेन करते हैं, जहां उनके पास व्यवसाय या निवास का एक निश्चित स्थान नहीं होता है।
अक्सर बड़ी कंपनियों के मामले में ऐसा होता है। Company किसी बड़े शहर में या राज्य की राजधानी में अपना एक Head Office/ Zonal Office/ City Office बनाती है। वह अपने सारे माल की खरीदारी इसी main office के माध्यम से करती है और माल को बेचने के लिए अपने बिक्री केंद्रों (Sales Centers) पर भिजवा देती है।
अब देखिए, head office ने सिर्फ माल खरीदा है और Sales Centers ने सिर्फ माल बेचा है। खरीदारियों पर चुकाए गए GST के बदले Input Tax Credit सिर्फ हेड आॅफिस के पास होंगे। और, बिक्रियों पर वसूले गए GST का हिसाब सिर्फ Sales Centers के पास होगा। इन दोनों चीजों का Adjustment करने के लिए Input Service Distributor यानी ISD का Concept विकसित किया गया है।
ISD सिस्टम में होता यह है कि Head Office अपनी कुल Input Tax Credit को अपने बिक्री केंद्रों में बांट देता है। य़ानी कि वह बिक्री केंद्रों को अपने Input Tax Credits का उपयोग करने का अधिकार दे देता है।
इन टी.डी.यस. को चुकाने वाले व्यक्ति को भी वार्षिक रिटर्न भरना जरुरी है।
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (Input service distributors)
Input Service Distributor का दरअसल सामान के distribution या बेचने से मतलब नहीं होता। बल्कि इसका संबंध इनपुट टैक्स क्रेडिट के इस्तेमाल से है। अब ये तो आप जानते ही होंगे जीएसटी के सिस्टम में आपका कुछ जीएसटी Input Tax Credit के रूप में वापस आ जाता है। अब अगर आप इस टैक्स क्रेडिट को अपनी ही कंपनी की अलग-अलग branches में transfer कर दें तो बस आप बन गए Input Service Distributor। अब ऐसा तब होता है जब कोई कंपनी raw material तो अपने हेडक्वार्टर के जरिए मंगाती है जबकि final product अलग-अलग प्लांट में बनते हैं और हर प्लांट अपना-अपना जीएसटी भी देता है।अक्सर बड़ी कंपनियों के मामले में ऐसा होता है। Company किसी बड़े शहर में या राज्य की राजधानी में अपना एक Head Office/ Zonal Office/ City Office बनाती है। वह अपने सारे माल की खरीदारी इसी main office के माध्यम से करती है और माल को बेचने के लिए अपने बिक्री केंद्रों (Sales Centers) पर भिजवा देती है।
अब देखिए, head office ने सिर्फ माल खरीदा है और Sales Centers ने सिर्फ माल बेचा है। खरीदारियों पर चुकाए गए GST के बदले Input Tax Credit सिर्फ हेड आॅफिस के पास होंगे। और, बिक्रियों पर वसूले गए GST का हिसाब सिर्फ Sales Centers के पास होगा। इन दोनों चीजों का Adjustment करने के लिए Input Service Distributor यानी ISD का Concept विकसित किया गया है।
ISD सिस्टम में होता यह है कि Head Office अपनी कुल Input Tax Credit को अपने बिक्री केंद्रों में बांट देता है। य़ानी कि वह बिक्री केंद्रों को अपने Input Tax Credits का उपयोग करने का अधिकार दे देता है।
टी.डी. यस. चुकाने वाला व्यक्ति (Persons paying TDS under section 51 of GST Act.)
सीजीएसटी के तहत आने वाली यूनिट को वस्तु या सेवा सप्लाई करने वाले 2.5 लाख रुपये से अधिक पेमेंट पर 1 फीसदी टीडीएस कलेक्शन करना होगा। इसके अलावा राज्य भी अपने यहां के कानून के तहत 1 फीसदी टीडीएस लगाएंगे। वहीं ई-कॉमर्स कंपनियों को भी अब जीएसटी के तहत सप्लाई करने वालों को भी पेमेंट के लिए 1 फीसदी टीडीएस कलेक्ट करना होगा। राज्य भी चाहे तो एसजीएसटी कानून के तहत 1 फीसदी टीसीएस लगा सकता है।
इन टी.डी.यस. को चुकाने वाले व्यक्ति को भी वार्षिक रिटर्न भरना जरुरी है।
जी.यस.टी. आर.-9 के प्रकार :-
- जी.यस.टी.-9 - वो सभी सामान्य करदाता जो जी.यस.टी आर -1 ,जी.यस.टी आर -2 और जी.यस.टी आर -३ भरते है।
- जी.यस.टी.-9A - वो सभी व्यापारी जो कम्पोजीशन स्कीम के अंतर्गत आते है। वो इसे भरेंगे।
- जी.यस.टी.-9B - वो सभी व्यापारी जो ई -कॉमर्स का व्यापार करती है और जो जी.यस.टी.-8 भरती है।
- जी.यस.टी.-9C - वो व्यापारी जिनका वार्षिक टर्नओवर वर्त्तमान वित्तीय वर्ष में रुपया 2 करोड़ से अधिक है , और जिनका व्यापारिक खाते का आडिट हुआ है , उनको अपने औडिटेड एकाउंट्स से अपने सभी जी यस टी रिटर्न को मिलान करने के पश्चात जी यस टी 9 को भरना चाहिए।
जी.यस.टी. आर.-9 के भरने को अंतिम तिथि -
जी यस टी आर 9 को वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के पश्चात आने वाले 31 दिसंबर से पहले भरा जा सकता है , इसकको भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है , परन्तु वित्तीय वर्ष 2017 - 2018 के वार्षिक रिटर्न की आखिरी तारीख 31 मार्च 2019 की गई है। यह सुविधा कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव और पहली बार रिटर्न भरने में आने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए दी गई है।
जी.यस.टी. आर.-9 के देरी से भरने पर लगने वाला जुर्माना -
यदि व्यापारी किसी कारणवश 31 दिसंबर तक वार्षिक रिटर्न नहीं भर पाता है तो उसे सी जी यस टी के अंतर्गत रु 100 और यस जी यस टी के अंतर्गत रु 100 अर्थार्थ कुल रु 200 प्रतिदिन के हिसाब से पेनाल्टी भरनी पड़ेगी।
आई जी यस टी पर कोई पेनाल्टी देय नहीं है।
जी एस टी आर 9 को 6 पार्ट में बाटा गया है व् इसमें 19 टेबल भी शामिल है -
पार्ट -1 -
- 1. वित्तीय वर्ष भरना है - जो इस तरह होगा - वित्तीय वर्ष 2017 -2018 के लिए जुलाई 2017 से मार्च 2018 लिखा जायेगा।
- 2. व्यापारी का जी यस टी नंबर भरा जायेगा।
- 3 A . रजिस्टरड व्यापारी का वास्तविक नाम।
- 3 B . व्यापार का नाम , जिस नाम से व्यापार का रजिस्ट्रशन हुआ है।
पार्ट -2 -
इसके अंतर्गत व्यापारी को आगत और निर्गत मॉल का (Inward and Outward Supplies) का विवरण देते है , इसके अंतर्गत हम जिस वित्तीय वर्ष का रिटर्न भर रहे है उस वित्तीय वर्ष के अंतर्गत जो भी मॉल हमने ख़रीदा , बिक्री वापसी आया , या हमने जो भी मॉल बिक्री की , या खरीद वापसी की उसका विवरण देते है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें