जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद नंबर आता है इसके रिटर्न को भरने का। साल भर के दौरान कई तरह के Return Forms से आपका सामना होता है। लेकिन, ऐसा जरूरी नहीं है कि सारे Form आपको भरने हैं। कुछ फॉर्म सामान्य GST Registered Taxpayers के लिए हैं, तो कुछ विशेष कैटेगरी वाले Taxpayers के लिए।
GST Return भरने से पहले आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि आपको कौन-कौन से forms भरना चाहिए। GST पर जानकारियों की इस कड़ी में हम आपका परिचय जीएसटी रिटर्न फार्म से करा रहे हैं। हम जानेंगे कि जीएसटी रिटर्न फार्म क्या हैं और किस तरह के कारोबारी को किस तरह का Return Form भरना है।
जीएसटी रिटर्न फार्म क्या हैं?
किसी महीने के दौरान आपके Business के एक-एक सौदे का हिसाब इसमें दर्ज होता है। जीएसटी रिटर्न नीचे लिखी चीजों का ब्यौरा देने के लिए होता है।
- महीने भर में कौन-कौन सा माल, कितना, कब और कितने में बेचा है?
- कौन-कौन सा माल, कितना, कब और कितने में खरीदा है?
- ग्राहक से कितना GST इकट्ठा करके आपने सरकार को दिया है?
- अपनी खरीदारियों पर कितना GST टैक्स आपने खुद चुकाया है?
- दोनों का मिलान करने के बाद कितनी GST टैक्स देनदारी आप पर बच रही है?
- या फिर कितना GST टैक्स आपका सरकार के उपर अतिरिक्त निकल रहा है?
सारी चीजों की जानकारी आप Return Forms के माध्यम से सरकार को देते हैं। कारोबार का महीना पूरा होने के बाद कई हिस्सों में अलग-अलग Return Forms के माध्यम से आप ये काम निपटाते चलते हैं। सेवाओं (Services) के मामले में भी यही सिस्टम काम करता है।
अभी GST के अंतर्गत कुल 13 तरह का RETURN भरा जाता है , वो है -
GSTR-1 , GSTR-3B, GSTR-4, GSTR-5, GSTR-5A, GSTR-6, GSTR-7, GSTR-8, GSTR-9, GSTR-10, GSTR-11 , CMP-08 और ITC-04.
इसके आलावा जिन कारोबारियों का ANNUAL TURNOVER 5 करोड़ से ज्यादा का है , उन्हें एक ANNUAL RETURN अथवा SELF-CERTIFIED RECONCILATION STATEMENT के रूप में GSTR-9C भरना पड़ता है।
इनके अतिरिक्त व्यापारी के पास किसी माह में INPUT TAX CREDIT कितनी है इसकी जानकारी के लिए GSTR-2A ( गतिशील ) और GSTR-2B (स्थिर ) भी है। इसके अलावा INVOICE FURNISHING FACILITY (IFF) की सुविधा भी है जो उन कारोबारियों के लिए है जिन्होंने अपना REGISTRATION QRMP SCHEME के अंतर्गत कराया है , वो B2B SALES ( BUSINESS TO BUSINESS SALES ) तिमाही के पहले दो महीने का IFF के अंतर्गत दर्शाते है , यह IFF , GSTR-1 में स्वतः दिखाई देता है।
आपको कौन सा जीएसटी रिटर्न भरना है?
GST रिटर्न भरने की प्रक्रिया शुरू करने के पहले यह जानना जरूरी है कि आपको कौन सा फार्म भरना है। हमने यहां पर जीएसटी करदाताओं की श्रेणी के हिसाब से Forms को अलग-अलग समूहों में रखा है और उनका संक्षेप में परिचय भी दिया है। चूंकि, प्रारंभिक GST करदाताओं में भी दो तरह के लोग होते हैं। एक, सामान्य रजिस्टर्ड GST वाले और दूसरे जीएसटी Composition Scheme वाले। तो बेहतर है कि जीएसटी कंपोजिट स्कीम के बारे में भी थोड़ा जान लें।
जीएसटी कंपोजिशन स्कीम -
यह छोटे कारोबारियों को ज्यादा हिसाब-किताब के झंझट से राहत देने के लिए खास स्कीम है। जिन लोगों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपए से ज्यादा है, लेकिन 75 लाख रुपए से कम है, वे GST composition scheme के तहत Register करा सकते हैं।
- इसमें Traders को 1 फीसदी, manufacturers को 2 फीसदी और Restaurant चलाने वालों को 5 फीसदी की दर से एकमुश्त टैक्स चुकाना होता है।
- इस कैटेगरी के व्यापारियों को न तो अपने ग्राहकों से GST वसूलनी होती है, न उसका हिसाब देना पड़ता है। ऐसे व्यापारी अपनी खरीदारियों के लिए जो जीएसटी चुकाते हैं, उस पर टैक्स वापसी (Input Tax Credit) का क्लेम नहीं कर सकते हैं।
सामान्य जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारियों के लिए रिटर्न फॉर्म-
जिन व्यापारियों ने जीएसटी कंपोजिशन स्कीम नहीं ले रखी होती है, उनको ये फार्म भरने होते हैं।
जीएसटीआर-1-
जीएसटी सिस्टम में यह सबसे पहला Return फॉर्म होता है। इसमें आपको पिछले महीने में हुई सभी तरह की बिक्री (outward supplies) का details भरना है। इसको आप कारोबारी महीने के तुरंत बाद वाले महीने की 11 तारीख तक भरकर जमा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए July महीने की पूरी बिक्री के लिए August महीने की 11 तारीख तक GSTR-1 जमा किया जा सकता है। इस फॉर्म में कुल 13 तरह के detail आपको भरने पड़ते हैं,जिनका विवरण आप मेरे GSTR-1 पर आधारित अलग लेख में देख सकते हैं। - GSTR-1 क्या होता है और कैसे भरा जाता है ?
जीएसटीआर- 2ए -
यह फॉर्म आपको GSTR-1 भरने की अंतिम तारीख के अगले दिन से GST Portal पर उपलब्ध होता है। दरअसल, यह अलग से कोई Form न होकर सिर्फ Crosscheck का मामला है। आपने जो खरीदारियां पिछले महीने की हैं, वे आपको बेचने वाले के GSTR-1 में दर्ज होता है। उसमें दर्ज आपके एकाउंट नंबर के आधार पर आपके पास भी वो सूचनाएं फार्म GSTR-2A के रूप में आ जाती हैं। यह एक PROGRESSIVE RETURN है जो की आपूर्तिकर्ताओं के डेटा के आधार पर आपूर्ति के प्रत्येक प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) विवरण प्रदान करता है।
जीएसटीआर-2 बी
इस फॉर्म में आपकी सारी खरीदारियों (Inward Supplies) का ब्योरा होता है। पिछले महीने में आपने जो भी वस्तुओं या सेवाओं (goods and services) के लिए payments किया हैै, उन सबकी जानकारी इसमें भरा रहता है। इसमें फॉर्म GSTR-2A भी साथ ही साथ दिखता है, जिसमें आपकी सारी बिक्रियों (Sales) का विवरण भी मिलता है। यह फार्म GSTR-2A की तरह गतिशील न होकर स्थिर प्रकृति का है अर्थार्थ यह भविष्य में किसी भी संसोधन से बदलता नहीं है। और यहाँ पर GST INPUT के प्राप्त होने अथवा अप्राप्त होने का परामर्श भी उपलब्ध रहता है।
जीएसटीआर-3 बी -
10 तारीख को अपने आप यह फॉर्म आपके Account मे AUTOMATIC POPULATED AMOUNT बताने लगेगा। इसमें आपको उन सभी बिक्रियों (outward supplies) और खरीदारियों (inward supplies) का ब्योरा होता है है जो आपने GSTR-1 and GSTR-2 में थीं। दोनों तरह के details को देखकर जीएसटी का सिस्टम (GSTN) अपने आप तय कर देता है कि आपको कितना टैक्स जमा करना है (amount of tax payable) या फिर कितना टैक्स आपको वापस मिलना है (input tax credit availability)। , इसके धनराशि में यदि आप संसोधन करना चाहते है , तो कर सकते है।
जीएसटीआर-3 ए-
यह Form उन लोगों को भरना होता है, जो किसी कारण से समय पर Monthly Return भरने से चूक गए हैं। सरकार की ओर से यह एक प्रकार का नोटिस होता है जो Form GSTR-3A के रूप में भरकर जमा करना होता है।
जीएसटीआर-9 -
ये आपका वार्षिक रिटर्न (annual return) फॉर्म होता है। इसमें, आपने कारोबारी साल में जो हर महीने यानी 12 बार फॉर्म GSTR-3 जमा किया है, उनका Details इसमें देना होता है। जो टैक्स आपने साल भर में जमा किया है, जो भी Export या Import किया है, उसका भी Detail देना होता है। उदाहरण के लिए आप जो भी कारोबार वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान करेंगे, उसका Return अगले वित्तीय वर्ष में 31 दिसंबर तक जमा कर देना होगा।कारोबार वाले financial year के बाद अगले वित्तीय वर्ष में 31 दिसंबर तक इसे जमा करना होता है।
जीएसटीआर 3 बी -
रेगुलर GST Returns का हिस्सा नहीं है। इसे जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ शुरुआती दो महीनों जुलाई और अगस्त के लिए जारी किया है। साामान्य रिटर्न (GSTR-1, GSTR-2,GSTR-3) भरने में आ रहीं Technical और अन्य व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने इसे तीनों रेगुलर रिटर्न के विकल्प के रूप में जारी किया है।
इसमें तीनों फॉर्मों में मांगी गई जानकारियों जैसे कि कुल बिक्री, कुल खरीदारी, कुल देय टैक्स और कुल जमा टैक्स आदि की मोटा-मोटी जानकारी देनी है। पूरा Detail न देकर सिर्फ उनके अनुमानित Total को बताना है। रसीद वगैरह भी नहीं Attach करनी है। बाद में जब इन महीनों के Regular Return Form जमा होंगे तो हिसाब में जो कमी या बढ़ोतरी होगी, Adjust हो जाएगी। जुलाई महीने के लिए 20 अगस्त तक और अगस्त महीने के कारोबार के लिए 20 सितंबर तक भरकर जमा कर देना अनिवार्य है।
कंपोजिशन स्कीम वाले कारोबारियों के लिए रिटर्न -
जीएसटीआर 4ए-
यह GSTR-2A की तरह का Crosscheck फॉर्म होता है। जिन लोगों ने खुद को जीएसटी की composition scheme के तहत रजिस्टर करवा रखा है उन्हें हर तीन महीने में (Quarterly) इसे जमा करना होता है। इस अवधि के दौरान की सारी खरीदारियों (inward supplies) का ब्योरा इसमें देना होता है।ध्यान दें: ये सारी जानकारियां विक्रेता (suppliers) की ओर से भरे गए उसके GSTR-1 में भी दर्ज होती हैं।
जीएसटीआर 4-
इस फॉर्म में composition tax payers को पिछली तिमाही के दौरान की गई सारी बिक्रियों (Outward supplies) का ब्योरा देना होता है। इसमें जो GST टैक्स देनदारी आप पर बन रही है, और जितना GST टैक्स आपने जमा किया है, उसका भी उल्लेख करना होता है। हर तिमाही (Quarter) के बाद उसके आगे वाले महीने की 18 तारीख तक इसे जमा कर देना होता है।
जीएसटीआर 9 ए -
Composition स्कीम के तहत रजिस्टर्ड लोगों के लिए यह सालाना रिटर्न (annual return) होता है। इसमेें साल भर के दौरान भरे गए चारों तिमाही रिटर्न (quarterly returns) का ब्योरा देना होता है।कारोबार वाले financial year के बाद अगले वाले financial year में 31 दिसंबर तक इसे जमा करना अनिवार्य होता है।
विदेशी करदाताओं के लिए रिटर्न
जीएसटीआर 5-
किसी अन्य देश का निवासी, जो भारत में Business करता है उसे यह फॉर्म भरना होता है। इसमें महीने भर की बिक्री, कुल Import , चुकाया गया Tax, कुल वापस पाने लायक टैक्स (input tax) और माल बचे हुए स्टॉक आदि का detail देना पड़ता है। इसे कारोबारी महीने अगले महीने की 20 तारीख तक जमा करना होता है।
Note: इस Category के करदाताओं को अगर Registration खत्म करना हो तो उसे रजिस्ट्रेशन surrender करने के एक हफ्ते के अंदर GSTR-5 को भरकर जमा करना होता है। या फिर Registration की expiry पूरी होने के पहले जमा कर दिया जाना चाहिए।
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर के लिए -
बहुत से टैक्सपेयर के लिए यह टर्म (Input Service Distributor) बिल्कुल अपरिचित सा है। तो आइए पहले इस टर्म को ही समझ लेते हैं।
जीएसटी में Input Service Distributor ऐसे खरीद केंद्रों को कहा जाता है, जो अपनी Input Tax Credit (खरीदारियों पर चुकाए गए टैक्स की क्रेडिट) का बंटवारा अपने बिक्री केंद्रों के बीच कर देती हैं।
जीएसटी में इस Concept की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि बहुत सी बड़ी कंपनियों के लिए माल की खरीद की जिम्मेदारी उनके Head Office, Regional Office या ऐसे ही कुछ अन्य अधिकृृत आॅफिसों को ही होती है। उनके कई जगह बिक्री केंद्र होते हैं, जिनके पास सिर्फ बेचने की जिम्मेदारी होती है। हेड आॅफिस के पास उसकी खरीदों पर जमा किए गए GST के बदले Input Tax Credit इकट्ठा होता जाता है। उधर बिक्री केंद्रों पर माल बेचने पर लिए गए GST के बदले Output Tax इकट्ठा होता जाता है।
तो हेड आॅफिस को अधिकार होता है कि वह अपने बिक्री केंद्रों को उनकी बिक्री के हिसाब से Input Tax Credit बांट दे। ताकि वे अपने Output Tax से उसका हिसाब करके, फाइनल टैक्स देनदारी तय कर सकें।
जीएसटीआर- 6 ए -
आपको सामान बेचने वाले (suppliers) अगले महीने की 10 तारीख तक अपने GSTR-1 जमा कर देते हैं। उसके बाद 11 तारीख तक यह फॉर्म आपके अकाउंट मेें generate हो जाता है।इसमें आपकी सारी खरीदारियों का डिटेल रहता है।आपको इन्हें कन्फर्म करना होता है।
जीएसटीआर- 6 -
जैसे ही (Input Service Distributor-ISD) की ओर से डिटेल को confirm या corrected कर दिया जाता है GSTR-6 जनरेट हो जाता है। GSTR-6 को Input Service Distributor की ओर से हर महीने 13 तारीख तक जमा कर देना अनिवार्य होता है।
टीडीएस काटने वालों के लिए रिटर्न -
जीएसटीआर 7 -
कारोबारी महीने के दौरान जो भी tax deductions किए जाते हैं, उनका Details इस फॉर्म में किया जाता है। इसे अगले महीने की 10 तारीख तक जमा कर दिया जाना चाहिए।
जीएसटीआर 7ए -
जैसे ही आप GSTR-7 जमा कर देते हैं तो आपको TDS certificate के रूप में आपके Account में अपने आप GSTR-7A फॉर्म जनरेट हो जाता है। इसे आप रिकॉर्ड के रूप में रखने के लिए Download भी कर सकते हैं। इसमें जो भी आपने टैक्स काटा है और जो भी सरकार को payment किया है, उसका पूरा ब्योरा रहता है।
आनलाइन शॉपिंग कंपनियों के लिए रिटर्न -
जीएसटीआर-8 -
अगर आप E-Commerce seller हैं तो आपको अपनी सारी supplies का ब्योरा फॉर्म GSTR-8 में भरकर जमा करना होता है। इसमें जो आपने टैक्स collect किया है, उसका भी ब्योरा इसमें देना है। अगले महीने की 10 तारीख तक इसे जमा करना होता है।
सरकारी संस्थाओं के लिए रिटर्न -
जीएसटीआर-11 -
यह फॉर्म सरकारी संस्थाओं या संगठनों को या संयुक्त राष्ट्र की संस्था को भरना होता है। हर महीने की 28 तारीख इसको जमा करने की अंतिम तारीख होती है। ऐसी संस्थाओ को UIN (Unique Identification Number) नंबर दिया जाता है। इस फॉर्म में, इन्हें कुल खरीदारी inward supplies का डिटेल देना होता है।
अन्य फार्म -
जीएसटीआर-9 बी -
जिस कारोबारी का सालाना turnover एक करोड़ रुपए से अधिक का है, उन्हें Form GSTR-9B भी भरना पड़ता है। यह एक मिलानसूची यानी reconciliation statement होता है। यह एक प्रकार का audited annual account होता है, जो सक्षम प्राधिकारी की तरफ से प्रमाणित भी होना चाहिए। इसे अगले वित्त वर्ष के 31 दिसंबर तक भरकर जमा कर देना होता है।
जीएसटीआर-10 -
जो व्यक्ति अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन सरेंडर करता हे या जिसका Registration कैंसल हो जाता है उसे Form GSTR-10 के रूप में फाइनल रिटर्न भरकर जमा करना होता है। Registration सरेंडर या कैंसल होने के तीन महीने के भीतर इसे जमा करना होता है। उसे अपना input tax credit और capital goods का ब्योरा देना होता है। साथ ही साथ कुल टैक्स देनदारी और कुल जमा किए गए टैक्स का भी ब्योरा भरना पडता है।
जीएसटी रिटर्न के 3 नए फार्म -
हालांकि सरकार में 3 नए सालाना जीएसटी रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर दिए हैं| गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी ) के तहत रजिस्टर्ड कारोबारियों को 30 जून 2019 से इस नए फार्म का इस्तेमाल करना है | रिटर्न में कारोबारियों को बिक्री, खरीद और वित्त वर्ष 2017 - 18 में मिले इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की कंसोलिडेटेड जानकारी देनी होगी| सेंट्रल बोर्ड आफ इनडायरेक्ट टैक्सेस और कस्टम्स (सीबीएसई) ने 31 दिसंबर 2018 को जीएसटीआर 9, जीएसटीआर 9ए और जीएसटीआर 9सी फार्म नोटिफाई किए हैं| जीएसटीआर -9 सामान्य करदाताओं के लिए एनुअल रिटर्न फॉर्म है | जीएसटीआर 9 ए कंपोजिट करदाताओं के लिए है| जबकि जीएसटीआर 9सी एक रिकॉन्सिलिएशन स्टेटमेंट है|
जी एस टी एन का मुफ्त अकाउंटिग साफ्टवेयर
जीएसटीएन एम एस एम ई कारोबारियों को मुफ्त में अकाउंटिंग और बिलिंग सॉफ्टवेयर मुहैया कराएगा | इस सुविधा का लाभ उन कारोबारियों को मिलेगा जिनका सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपए तक होगा इससे करीब 80 लाख छोटे कारोबारी लाभांवित होंगे |
जीएसटी नेटवर्क की ओर से दिनांक 28 मई 2019 को एक बयान में यह जानकारी दी गई , इसके मुताबिक यह सॉफ्टवेयर कारोबारियों को इन्वॉयस और अकाउंट स्टेटमेंट तैयार करने इन्वेंटरी मैनेज करने और जीएसटी रिटर्न तैयार करने में मदद करेगा इसे जीएसटी की वेबसाइट www.gst.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है , इसके लिंक वेबसाइट पर डाउनलोड टैब के अंतर्गत दी गई है |
यह सॉफ्टवेयर कारोबारियों को बेसिक फीचर्स जैसे सेल /परचेज / कैश लेजर , इन्वेंटरी मैनेजमेंट , सप्लायर /कस्टमर मास्टर्स, इनवॉइस का निर्माण, जीएसटी रिटर्न तैयार करने जैसी सुविधाएं मुफ्त देता है| इसके अलावा यह बैंक खाते से मिलान और प्राप्तियो का स्टेटमेंट आदि अतिरिक्त सुविधाएं कुछ फीस लेकर मुहैया करता है |
जीएसटीएन के चीफ एग्जीक्यूटिव प्रकाश कुमार ने कहा , हमने डेढ़ करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों की मदद के लिए आठ बिलिंग और सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर्स के साथ साझेदारी की है इन प्रयासों से एम एस एम ई को डिजिटल सिस्टम अपनाने में मदद मिलेगी | इस सॉफ्टवेयर की मदद से जीएसटी के अनुपालन का बोझ कम होगा | आईटी व्यवस्था को अपनाने में उनकी दक्षता में सुधार होगा | जीएसटी काउंसिल ने इस साल जनवरी में डेढ़ करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को मुफ्त सॉफ्टवेयर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी |
ई- इनवॉइस (E-Invoice):
कानूनी व तकनीकी पहलुओं पर सुझाव देंगे दो उप समूह - जीएसटी व्यवस्था के तहत पोर्टल से ई-इनवॉइस बनाने की सुविधा शुरू करने पर सुझाव देने के लिए जीएसटी काउंसिल ने दो उप समूह बनाए हैं | एक उप -समूह टर्नओवर की सीमा , ई-इनवाइस के निर्माण के तरीकों पर सुझाव देगा | जबकि दूसरा उप- समूह बिजनेस प्रोसेस , नीति और कानूनी पहलुओं के बारे में सिफारिश करेगा | नीति से जुड़े मसलों पर बना उप-समूह फर्जी इनवाइस पर अंकुश के लिए तत्काल उठाए जाने वाले उपाय के बारे में सुझाव भी देगा | वहीं, तकनीकी पहलुओं से जुड़े मसलों पर बना उप समूह ई-इनवॉयस के निर्माण के तरीके ,डाटा सिक्योरिटी, सिस्टम इंटीगरेशन के बारे में सुझाव देगा | सरकारी पोर्टल पर ई-इनवॉइस बनाने की व्यवस्था शुरू करने का पक्का उद्देश्य जी एस टी की चोरी की रोकथाम करना है|
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