कुछ लोग नगद में पूरा भुगतान करके तो कुछ लोग लोन लेकर वाहन खरीदते हैं | लोन देने के लिए कई एजेंसियां , कंपनिया, प्राइवेट संस्थाएं उपलब्ध है | इन सभी का इंटरेस्ट रेट अलग-अलग होता है |प्राइवेट संस्थाएं ज्यादा ब्याज वसूलते हैं | आपने लोन की राशि से वाहन लिया है, इसकी जानकारी आरटीओ में दर्ज रहती है | नियम के अनुसार जब तक आपके वाहन पर लोन की राशि बाकी रहती है , आपके अलावा आपका फाइनेंसर भी आपके वाहन का बराबरी का मालिक माना जाता है | यही कारण है कि कुछ किस्ते चूकने पर फाइनेंसर नियमों का हवाला देकर आपका वाहन जब्त कर लेता है | इसके बाद बकाया किस्त जमा करने पर वाहन लौटा देता है | यही बात सरकारी बैंक से लोन लेने पर भी लागू होती है | किस्ते बकाया रहने पर बैंक भी वाहन जब्त कर लेते हैं | जब आप लोन की राशि चुका देते हैं तो लोन देने वाली संस्था से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना कभी ना भूले | इस सर्टिफिकेट को आरटीओ में जमा कराकर रजिस्टरेसन बुक से लोन खत्म होने की जानकारी दर्ज कराना जरूरी होता है नोड्यूज की एक कॉपी अपने पास जरूर रखें यह काफी आपको अपना पक्ष रखने के काम आएगी लोन खत्म होने तक एक तरह से आपका वाहन फाइनेंसर के पास गिरवी रहता है रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के साथ ही वाहन बीमा करा लेना उचित रहता है कुछ लोग फर्स्ट पार्टी तो कुछ लोग सिर्फ थर्ड पार्टी बीमा ही करवाते हैं अपने वाहन का बीमा जरूर करें जब वाहन रजिस्ट्रेशन के समय ही इंसुरेंस भी करवा लेना चाहिए वाहन बीमा में तीन पत्ते हैं पहले आप दूसरा बीमा कंपनी और तीसरा वहीं से आपके वाहन से नुकसान पहुंचता है फर्स्ट पार्टी बीमा में वाहन दुर्घटना पर आपको क्लेम मिलता है इसमें शर्ते लागू होती हैं थर्ड पार्टी बीमा में 1500000 रुपए का आपका व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी कवर हो जाता है हर तरह की हानि से बचाओ यदि आप यह दोनों साथ कराते हैं तो इसके कई लाभ हैं जैसे आपकी गाड़ी से दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचने पर बीमा कंपनी से हर्जाना देगी आपकी गाड़ी से दूसरे की गाड़ियां संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर कंपनी हर्जाना देती है कोर्ट केस होने पर वकील या मुकदमे के खर्च से आप जाते हैं आपको चोट पहुंचने पर मुफ्त इलाज विकलांग होने पर मुआवजा वाहन मालिक की मौत होने पर आर्थिक मुआवजा मिलता है ऐसे मिलेगा वहां नंबर सभी जरूरी दस्तावेज आरटीओ में जमा करवा दें साथ ही जो भी शुल्क लगता है उसका भुगतान कर दें इसके बाद दो-तीन दिन में प्रक्रिया पूरी हो जाती है और आरटीओ से आपको नंबर आवंटित कर दिया जाता है कुछ मामलों में सप्ताह भर तक का समय लग जाता है इस नंबर को वाहन की प्लेट पर दर्ज करा लें यदि आपको यह सब काम करने में लगे तो किसी सेवाएं ले सकते हैं|
यूनिक कोड होता है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट में यदि आप आरटीओ से कोई वीआईपी या स्पेशल नंबर लेना चाहते हैं जैसे कि 001777 या 999 9 तो उसके लिए आरटीओ आपसे अतिरिक्त शुल्क वसूल करता है यह शुल्क 5 10,000 से लेकर लाखों रुपए तक हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन सा स्पेशल नंबर आवंटित करवाना चाहते हैं आरटीओ नियम के अनुसार नान कमर्शियल प्राइवेट वाहनों पर सफेद तथा परिवहन के उपयोग में आने वाले वाहनों के लिए पीले रंग की नंबर प्लेट आमंत्रित की गई है आरटीओ ने अब हर वाहन पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट लगाना जरूरी कर दिया है यह नंबर प्लेट आपकी सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखकर बनाई गई है दिल्ली में जिन नई गाड़ियों का रिसेशन हो रहा है उन्हें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट मिल रही है इससे वारदात तथा हादसे रोकने में मदद मिलेगी क्योंकि क्रोमियम होलोग्राम वाले हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट में चीट कोड भी होता है जिससे हटाया मिटाया नहीं जा सकेगा करता है असली है या नकली इसके जरिए किसी भी हादसे आपराधिक वारदात होने की स्थिति में वाहन और इसके मालिक के बारे में तमाम जान कार्य उपलब्ध हो जाती हैं जर्मनी और जापान से आयात इन प्लेटों के साथ कलाकारी करना या लगवाने के बाद बदलना संभव नहीं है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की खासियत इसे आरटीओ जारी करता है मुनीम की बनी होती है इस पर बने होलोग्राम पर एक चक्कर होगा यह होलोग्राम स्टीकर होगा जिस पर वहां का इंजन रहेगा यह नहीं होगा प्लेट में होगा 1 तरीके से तीन होगा जो कि आपके हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट को आपके वाहन से जुड़ेगा इस प्लेट को आरटीओ द्वारा लगाया जाता है इसे स्क्रुड्राइवर या पाने से खोला नहीं जा सकता अपराधियों को पकड़ने में इससे मदद मिलती है विशेष प्लेट होने के कारण रात में कैमरे के जरिए वाहन पर नजर रखना संभव है इस नंबरों से छेड़छाड़ भी संभव नहीं है |
देशभर में ऐसी प्लेट लगाई जाने पर इंजन चेचिस नंबर सहित तमाम यूनिक जानकारियां नेशनल डेटाबेस में दर्ज रहेगी ताकि पूरे देश के वाहनों का एक सेंट्रलाइज्ड रिकॉर्ड रहे हादसा हो जाए वाहन जल जाए तो भी इस प्लेट पर उभरे हुए अक्षरों को छूकर अंदाजा लगाया जा सकेगा की उसका रजिस्ट्रेशन नंबर क्या है पुराने वाहनों पर यह प्लेट यदि आप लगवाना चाहते हैं तो आपको शहर के आरटीओ में जाना पड़ेगा वहां 48 घंटे में प्लेट मिल जाएगी और इसका शुल्क दोपहिया वाहनों के लिए 125 से 150 रुपए और चार पहिया व भारी वाहनों के लिए 250 से ₹350 तक है इस प्लेट में जीपीएस आधारित एक चिप लगी होती है जिसकी मदद से पुलिस कंट्रोल रूम अथवा क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय कभी भी किसी भी गाड़ी को ट्रैक कर सकता है डुप्लीकेट प्लेट से बचने के लिए इसमें लेजर मार्ग और होलोग्राम जैसे सुरक्षा उपाय इस्तेमाल किए गए हैं|
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