होम लोन प्रीपेमेन्ट पर नहीं लगेगा कोई शुल्क -
सभी प्रोसेस से गुजरने के बाद आपका लोन मंजूर हो जाता है | जिससे घर खरीद रहे हैं, उसे बैंक भुगतान कर देता है| इसके बाद आपको घर में रहने की अनुमति मिल जाती है| यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि घर की रजिस्ट्री तो आपके नाम होती है , लेकिन घर का असली मालिक लोन खत्म होने तक बैंक ही रहता है | यही कारण है कि घर की रजिस्ट्री, पजेशन , एनओसी समेत सभी मूल दस्तावेजों की फाइल बैंक के अधीन रखना पड़ता है | लोन राशि खत्म होने पर आपको "नोड्यूज " का सर्टिफिकेट लेना पड़ता है | इसके बाद मूल दस्तावेज की फाइल आप को सौंप दी जाती है | हर फाइनेंस कंपनी की यही प्रक्रिया होती है | यह भी ध्यान में रखें कि किसी भी महीने किस्त चुकने ना पाए | ज्यादा किस्तें चुकाने पर बैंक आप पर जुर्माना कर सकता है , एक सीमा के बाद आपको घर से बेदखल भी किया जा सकता है | इस बार हम आपको प्रीपेमेंट, पुराने घर पर लोन तथा नो ईएमआई के बारे में बताएंगे|
पुराने घर पर लोन -
कोई भी बैंक या फाइनेंसर कंपनी 25 से 30 वर्ष से अधिक पुराने घर पर लोन देने से परहेज करती है | यदि लोन दे भी दिया तो घर का बीमा करवाना जरूरी होता है , वही लोन लंबी अवधि के लिए नहीं मिलता | इस कारण आपको कम अवधि का अधिक राशि का लोन लेना पड़ता है | इससे आपकी महीने की किस्त ज्यादा आएगी वैसे अपने होम लोन को गति देने के लिए बैंक पुराने घरों की मरम्मत, अतिरिक्त निर्माण आदि के लिए लोन देने लगे हैं | पुराने घरों पर इसके चलते कुछ बैंक इस कैटेगरी के लोन पर अधिक ब्याज ले सकते हैं |
होम लोन के प्रीपेमेंट का फायदा उठाएं -
अगर आप तय अवधि से पहले होम लोन चुकाना चाहते हैं तो इसे प्रीपेमेंट कहते हैं | इसमें आपके द्वारा जमा की गई राशि सीधे मूलधन से जुड़ती है उदाहरण के लिए आपने 1000000 का लोन 15 वर्ष के लिए लिया है और हर साल प्रीपेमेंट द्वारा आप इसे 10 वर्ष में खत्म कर देते हैं ऐसे में आप 5 वर्ष का ब्याज भरने से बच जाते हैं क्योंकि आपने जो भी अग्रिम राशि जमा की है वह सीधे प्रिंसिपल अमाउंट में जुड़ती है मूलधन और ब्याज के रूप में आप सालाना ₹300000 तक की रकम पर इनकम टैक्स में छूट भी पाते हैं जब बैंक ब्याज बढ़ा देते हैं तब यह स्कीम आपके लिए और फायदेमंद हो जाती है प्रीपेमेंट पर पहले पेनल्टी लगा करती थी लेकिन अब रिजर्व बैंक ने कहा है कि कोई ग्राहक होम लोन का प्रीपेमेंट करना चाहता है तो उससे कोई प्री पेमेंट पेनाल्टी जाए एमआई क्या है इसकी में बिल्डर और ग्राहक के बीच एक करार होता है इसमें पजेशन मिलने तक ग्राहक के बदले बिल्डर बैंक होम लोन का ब्याज पड़ता है इससे बैंकों तो फायदा है ही बिल्डर को भी अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए बैंक से मिलती रहती है और उसके मकान सबसे ज्यादा बिकते हैं इन सब का फायदा ग्राहक को होता है|
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