हम अक्सर पत्र -पत्रिकाओं में पढ़ते है ,देखते है की बड़ी बड़ी कंपनियों के balance sheet के बारे में खबरे छपी होती है , उसके Profit and Loss Account के अलावा उनके नेटवर्थ की चर्चा होती है , T.V. पर अक्सर पत्रकार बैलेंस शीट के बारे में बहस करते है , तब अपने अंदर यह सवाल आता है कि आखिर बैलेंस शीट होता क्या है।
Balance sheet
व्यापारी अपने व्यवसाय करते समय हर वक्त अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में चिंतित रहता है , वह हर वक्त यह जानना चाहता है की उसकी देनदारी और लेनदारी की सही सही स्थिति क्या है , तो बैलेंस शीट एक ऐसी रिपोर्ट होती है , जो कि व्यापारी को एक निश्चित तिथि को उसके व्यापार के वित्तीय स्थिति के बारे में बताता है।
बैलेंस शीट का आशय एक ऐसे statement से है जो कि एक निश्चित तारीख पर व्यापारी की आर्थिक स्थिति क्या है यह प्रकट करता है।
हम अपने बहीखाता के अवशेषों को जब एक स्टेटमेंट में लिखते है तब उसे हम trial Balance कहते है , उस Trial Balance से हम Profit and Loss और Balance Sheet तैयार करते है , जिस तरह Trial Balance एक Debit और Credit का Balance एक सामान होता है , उसी प्रकार Balance Sheet का भी debit और Credit Side का बैलेंस एक सामान होता है।
बैलेंस शीट में हम इसे Assets और Liabilities नाम से दर्शाया जाता है। Liabilities अर्थात् दायित्व के अंतर्गत सभी दायित्व लिखे जाते है - जैसे - पूंजी (Capital ), लेनदार ( Creditor ), बैंक ऋण ( Bank Loan ) इत्यादि। और सम्पति के अंतर्गत समस्त सम्पतियो को लिखा जाता है। जैसे - रोकड़ (Cash ), देनदार ( Debtors ), मशीन (Machines ), फर्नीचर ( Furniture ), प्लांट (Plant ), अंतिम रहतिया ( Closing Stock ) इत्यादि।
वास्तव में बैलेंस शीट एक खाता न होकर एक विवरण पत्र होता है , अब हम इसके अंतर्गत आने वाले खातों को विस्तारपूर्वक देखते है -
दायित्व पक्ष (LIABILITIES SIDE )-
1. अंश पूंजी ( Share Capital ) -
इसके अंतर्गत निम्न पूंजी के खाते आते है -
- समता अंश पूंजी ( Equity Share Capital )
- पूर्वाधिकार अंश पूंजी ( Preference Share Capital )
2. संचित और आधिक्य ( Reserve and Surplus )-
इसके अंतर्गत निम्नलिखित लाभों को लिखा जाता है -
- सामान्य संचित ( General Reserve)
- पूंजी संचित ( Capital Reserve)
- लाभ - हानि जमा ( Profit and Loss - Credit)
- प्रतिमूर्ति प्रब्याज ( Security Primium)
- अंशो का हरण ( Share Forfeiture)
3. सुरक्षित ऋण (Secure Loan)-
- ऋणपत्र ( Debenture)
- बंधन ( Bonds)
- अधिकोष ऋण ( Bank Loan)
- बंधक ऋण ( Mortgage Loan)
4. चालू दायित्व (Current Liabilities )-
- लेनदार ( Creditors)
- देय विपत्र ( Bills Payables)
- बैंक अधिविकर्ष ( Bank Overdraft)
- अदत्य व्यय ( Outstanding Expenses)
- अग्रिम आय ( Advance Income)
5. प्रावधान (Povisions ) -
- अप्राप्य ऋण के लिए प्रावधान ( Provision for Bad Debts)
- करो के लिए प्रावधान ( Provision for Taxation)
- मरम्मति के लिए प्रावधान ( Provision for Repairs)
सम्पत्ति पक्ष ( Assets Side )
इस पक्ष वाले खातों को तीन भागो में वर्गीकृत करते है - Fixed Assets, Current Assets and Miscellaneous Expenditure.
1. स्थाई संपत्ति (Fixed Assets) -
जिन सम्पतियो में बराबर परिवर्तन नहीं होता , उसे इस शीर्षक के अंतर्गत दिखाया जाता है , इसमें निम्नलिखित खाते आते है -
- भूमि और भवन (Land and Building)
- कार्यशाला एवं यंत्र (Plant and Machinery)
- फ़र्निचर व फिक्सचर (Furniture and Fixture)
- ढीले उपकरण (Loose Tools)
- साख (Goodwill)
- पेटेंट अधिकार (Patent Right)
- व्यापार चिह्न (Trade Marks)
2. वर्तमान संपत्ति (Current Assets)
- नकद (Cash)
- बैंक (Bank)
- देनदार (Debtors)
- प्राप्य बिल (Bills Receivable)
- निवेश (Investment)
- अंतिम रहतिया (Closing Stock)
- पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses)
- अर्जित आय (Accrued Income)
3 . विविध व्यय (Miscellaneous Expenditure)
इस शीर्षक के अंतर्गत अवास्तविक सम्पतियो को दिखाया जाता है। इसके अंतर्गत कुछ खर्च और सम्पतियो को तत्काल संपत्ति के रूप में है , परन्तु धीरे- धीरे इसे Profit and Loss Accounts में जाकर समाप्त कर दिया जाता है , इसमें आने वाले कहते निम्न प्रकार है -
- प्रारंभिक व्यय ( Preliminary Expenses)
- अंशो के निर्गमन पर कटौती (Discount on Issue of Shares)
- ऋणपत्रो के निर्गमन पर कटौती (Discount on Issue of Debentures )
- अंशो के निर्गमन पर व्यय (Expenses on Issue of Shares )
- ऋणपत्रो के निर्गमन पर व्यय (Expenses on Issue of Debentures)
- लाभ- हानि खता में हानि (Profit and Loss - Debit)
उपरोक्त खातों को उपरोक्तानुसार निश्चित क्रम में हम बैलेंस शीट में लिखते है और आखिर में उसके शेष का मिलान करते है। इनके दोनों पक्षों का जोड़ बराबर होता है , लेकिन हम जब इस बैलेंस शीट को Chartered Accountant के पास ले जाते है तब वह इसे सरकारी प्रावधानों के अनुसार Schedule VI में तैयार करता है , और वह एक ऑडिटेड बैलेंस शीट और तैयार है।
अब प्रश्न उठता है कि यह Schedule VI क्या होता है और CA को ऑडिटेड बैलेंस शीट क्यों तैयार करना पड़ता है , तो आइये इसके बारे में जानते है -
कृपया क्लिक करे -
- ऑडिटेड बैलेंस शीट क्या है ? और क्यों तैयार करना पड़ता है ?
- Schedule VI क्या होता है?
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