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बीमा का इतिहास

 ईसा पूर्व  3000 वर्ष से ही बीमा किसी न किसी  रूप में विधमान  रहा है। कई वषों से विभिन्न  सभ्यताओं  ने समाज 

के कुछ सदस्यों की सभी हानियों  को आपस में पुलिंग (धनराशी  एकप्रीकरण) करने तथा  हिस्सेदारी  की 

अवधारणा का पालन किया  है। चलिए , हम ऐसे ही कुछ उदाहरणों पर नज़र डालर्ते हैं जहाँ  इस अवधारणा को 

लागू किया  गया था ।

बेबीलोनिअल व्यापारी     बेबीलोनिअल व्यापारीयो द्वारा किये गए करार के अनुसार, जहाज में लादी गई वास्तु के गुम या चोरी हो जाने पर , ऋण दाताओ द्वारा ऋण माफ़ किये जाने के लिए , व्यापारियों द्वारा ऋण दाताओ को अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जायेगा।  इसे " बाटमरी ऋण " कहा जाता था।  ऐसे करार के तहत , जहाज या मॉल को गिरवी रख कर लिए गए ऋण की वापसी , समुन्द्र यात्रा के पश्चात जहाज के गंतव्य पर सुरक्षित पहुँच जाने पर ही की जाती थी। 
2.     बरूच एवं सूरत के व्यापारी     भारतीय जहाजो में श्रीलंका , मिश्र एवं यूनान की और समुंद्री यात्रा करने वाले भड़ौच एवं सूरत के व्यापारियों में भी बेबीलोनिअल व्यापारीयो के समान प्रथा प्रचलित थी। 
यूनानी     यूनानियों ने ईसा पश्चात 7  वी  शताब्दी के अंत में , मृत  सदस्यों के अंतिम संस्कार तथा उसके परिवार की देखभाल के लिए परोपकारी संस्थाओ की शुरुआत की थी।  इसी प्रकार से इंग्लैंड में भी मित्रवत समितियां  ( फ्रैंडली सोसाइटी ) गठित की गई थी। 
    रोड्स  के निवासी रोड्स  के निवासीयो ने एक ऐसी प्रथा अपनाई जिसके तहत संकट के दौरान जहाज का भार कम करने और संतुलन बनाये रखने के लिए जहाज में से कुछ माल फेंक दिया जाता था , जिसे " जेटीसर्निंग "कहा जाता था , इस प्रकार मॉल के नुकसान हो जाने पर मॉल के सभी मालिकों ( वे भी कोई माल नष्ट न हुआ हो ) को कुछ अनुपात में हानि वहां करनी पड़ती थी 
चीन के व्यापारी प्राचीन काल में चीन के व्यापारी , जोखिम भरी नदियों से यात्रा के दौरान विभिन्न जहाजों और नावों में अपना माल रखते थे , उनका मानना था की यदि कोई नाव डूब भी जाए तो माल के नुकसान आंशिक होगा , पूरा नहीं , इस प्रकार के विस्तारण से हानि की मात्रा को कम किया जाता था। 

बीमा की आधुनिक  अवधारणाएं -

भारत में जीवन बीमा का सिद्धांत भारत की संयुक्त परिवार की व्यवस्था में प्रतिबंधित होता है जो कि पिछली कई सदियों में जीवन बीमा का सर्वश्रेष्ठ स्वरुप रहा है।  परिवार के किसी सदस्य की आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार के विभिन्न सदस्यों द्वारा दुःख एवं हानि आपस में बाँट लेते थे , जिसके परिणाम स्वरुप परिवार का प्रत्येक सदस्य सुरक्छित महसूस करता था। 

आधुनिक युग में संयुक्त परिवार प्रणाली का विघटन एवं छोटे परिवार के उभरने से तथा दैनिक जीवन के तनाव के कारण यह आवश्यक हो गया है की सुरक्षा हेतु वैकल्पिक प्रणाली को विकसित किया जाय।  यह किसी एकल व्यक्ति के लिए बीमा की आवश्यकता की विशिष्टता दर्शाता है। 

1. लाँयड -  वर्त्तमान में प्रचलित आधुनिक बीमा कारोबार की शुरुआत के संकेत , लन्दन के लाँयड हॉउस में ढूढे जा सकते है।  यहाँ एकत्रित होने वाले कारोबारी , सामुद्रिक खतरों के कारण जहाज द्वारा ले जा रहे उनके माल के छति  होने पर ऐसी हानि को आपस में बढ़ाने हेतु सहमत रहते थे।  उन्हें समुंद्री खतरे जैसे समुन्द्र के बीचो बीच समुंद्री डाकुओ द्वारा लूटपाट अथवा ख़राब मौसम में माल के नस्ट हो जाने अथवा जहाज के डूब जाने के कारण  ऐसी हनिओ का सामना करना पड़ता था। 
2.  वर्ष 1706 में लन्दन में शुरू की गई एमीकेबल सोसाइटी फॉर एशुरेन्स ही विश्व की सर्वप्रथम जीवन बीमा कंपनी मानी जाती है। 

भारत  में बीमा का इतिहास -

आधुनिक भारत की शुरुआत लगभग 18 सदी के आरम्भिक वर्षो में हुई।  इस दौरान विदेशी बीमाकर्ताओं की एजेंसिओ ने (मरीन बीमा ) समुंद्री बीमा की शुरुआत की। 

द ओरिएंटल लाइफ इन्शुरेंस कंपनी लिमिटेड भारत में स्थापित की जाने वाली पहली इंग्लिश जीवन बीमा कंपनी। 
2.     ट्रीटन बीमा कंपनी लि.भारत में स्थापित पहली गैर - जीवन बीमा कंपनी ,
    बॉम्बे म्यूच्यूअल अश्योरेंस सोसाइटी ली। पहली भारतीय बीमा कंपनी।  इसका गठन वर्ष 1870 में मुंबई में हुआ था 
    नॅशनल इंशोरेन्स कंपनी लि।      भारत की सर्वार्धिक पुरानी बीमा कंपनी।  इसकी स्थापना वर्ष 1906 में की गई थी और इसका कारोबार आज भी निरंतर चल रहा है। 


तत्पश्चात , इस सदी की शुरुआत में स्वदेशी आंदोलन के परिणाम स्वरुप कई अन्य भारतीय कंपनियों की स्थापना की गई। 

ज्यादा जानकारी के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे। 



हमें जीवन बीमा की आवश्यकता क्यों है ?

 ज्यादातर लोग यह सोचते है कि  जीवन बीमा सिर्फ शादी शुदा लोगो के लिए है।  ऐसा इसलिए क्योकि शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती है।  परन्तु यदि आप शादीशुदा नहीं है तो भी आपके ऊपर किसी न किसी की जिम्मेदारी तो रहती ही है , हो सकता है कि आपके माता - पिता रिटायर होने वाले हो , हो सकता है की आपके छोटे भाई -बहन हो जो की आपके ऊपर निर्भर हो ऐसा कोई भी हो सकता है और सोचे अगर आपके साथ कोई हादसा होता है और आप इस दुनिया से चले जाते है , तो आप के परिवार को कौन संभालेंगा ?

यदि आपने home loan लिया हो या यदि आपने अपने छोटे भाई - बहनो के लिए Education Loan लिया हो तब जरा सोचिये आपके न रहने पर इन सभी का सारा बोझ आपके परिवार पर पड़ेगा।  

उनको जिन आर्थिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ेगा , उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते , अगर आप चाहते है कि  आपके परिवार को किसी आर्थिक कठिनाई का सामना न करना पड़े तो आपको एक Insurance Plan जरूर खरीदना चाहिए आपके ना रहने पर आपके परिवार को यह एक आर्थिक सम्बल प्रदान करेंगा। 

इन Insurance Plan में सबसे पहले आता है - 


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