भारत को यदि विश्व गुरु बनना है तो उसका Export उसके द्वारा किये जा रहे Import से ज्यादा होना चाहिए , इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत सरकार काफी ज्यादा सजग है , और उस दिशा में काफी प्रयास किया जा रहा है।
भारत सरकार निर्यात संवृद्धि के लिए व्यापारियों को कई तरह के आर्थिक सहायता भी प्रदान कराती है , यह सहायता कई प्रकार से निर्यातक व्यापारियों को प्राप्त होती है - जैसे कम ब्याज पर ऋण की सुविधा , कर छूट , सब्सिडी , और सरकार द्वारा वित्तपोषित विज्ञापन जैसी आर्थिक सहायता है , यह उन्हें समग्र निर्यात लागत को कम करने में मदद करता है, इस प्रकार उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारित करने में मदद करता है।
सरकार के द्वारा प्रदत्त सभी सरकारी सहायता विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुपालन के अंतर्गत होते है अतः यह सभी तरह से तर्क सांगत होते है , विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) कानूनी और नैतिक विश्व व्यापार प्रथाओं पर नज़र रखता है और किसी भी प्रकार के भेदभाव जनक निति का समर्थन नहीं करता है।
भारत में कुछ निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं नीचे दी गई हैं जो एमएसएमई और विक्रेताओं को लाभ उठाने में मदद करती हैं-
- SEIS (Service Exports from India Scheme) -
SEIS को अधिसूचित सेवाओं का निर्यात करने वाले विक्रेताओं को प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया गया था, SEIS को उन विक्रेताओं को प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया गया था जो अधिसूचित सेवाओं का निर्यात करते हैं। इस निर्यात योजना के तहत, सेवा निर्यातकों को शुद्ध विदेशी मुद्रा आय का 3-7% का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत दावे के लिए पात्र होने के लिए एक निर्यातक के पास 15,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 11 लाख रुपये) की न्यूनतम शुद्ध विदेशी मुद्रा आय के साथ एक सक्रिय आईईसी ( Import Export Code) होना आवश्यक है।
2. RoDTEP (Rebate of Duties & Taxes on Exported Products scheme)-
निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट योजना को दिसंबर 2020 से चरणबद्ध तरीके से पुरानी MEIS (मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम की जगह लागु किया गया। , RoDTEP योजना सभी छिपे हुए और अन्य करों पर रिफंड की पेशकश करती है जो किसी अन्य स्कीम के अंतर्गत वापस नहीं किया जाता है निर्यात प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत आप निम्नलिखित खर्चो और सेवाओं पर भी इंसेंटिव पा सकते है जैसे निर्यात उत्पादों पर उपयोग किए जाने वाले परिवहन ईंधन पर केंद्रीय और राज्य कर, उत्पाद निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली बिजली पर शुल्क, टोल टैक्स, आयात-निर्यात कानूनी कागजी कार्रवाई पर स्टांप शुल्क आदि.
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