दोस्तों , हम एक आजाद देश में रहते है , कहने को तो हम आर्थिक रूप से आजाद है , परन्तु हमारी व्यकितगत आर्थिक आजादी आज भी हमारे हाथ में ही है , इसको प्राप्त करने के लिए हमें अपने धन को बहुत ही समझदारी के साथ सही जगह पर , उचित प्लानिंग के साथ व्यवस्थित करने के जरुरत होती है। इसके लिए हमें अपने पैसे की उचित रखरखाव करने की जरुरत है।
दोस्तों ,बहुत सारे लोग ज्यादा पैसा इसलिए नहीं बना पाते हैं हैं क्योंकि उनको पैसा कमाने का तरीका नहीं पता होता है। एक बात तो स्पष्ट है कि नौकरी करके अधिक पैसा नहीं कमाया जा सकता और ठीक उसी तरह छोटा-मोटा व्यापार करके भी पैसा नहीं कमाया जा सकता। पैसा कमाया जाता है पैसे से। अब चूंकि हर आदमी के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह बड़ा व्यापार खड़ा कर ले या पैसे को कहीं इन्वेस्ट कर ले इसीलिए लोग निम्न वर्ग, निम्न मध्य वर्ग, मध्यवर्ग और बहुत हुआ तो उच्च मध्यवर्ग तक ही पहुंच कर रह पाते हैं। आपने यह तो पढ़ा ही होगा की पूरी दुनिया की कुल संपत्ति का 90% भाग 10% लोगों के पास होता है और 10% संपत्ति 90% लोगों के पास है।
अपने धन को कैसे व्यवस्थित करे -
वित्तीय योजना क्यों महत्वपूर्ण है?
- आपके आश्रितों के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा की कितनी राशि की आवश्यकता है.
- सेवानिवृत्ति के बाद एक आरामदायक जीवन जीने के लिए आपको कितनी राशि की आवश्यकता हो सकती है.
- आपको अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए कितने पैसे बचाने की आवश्यकता होगी।
- आप अपने द्वारा लिए हुए कर्ज को कैसे आसानी से चुकाए।
- आप अपने बचत किये हुए रकम से कैसे ज्यादा से ज्यादा आमदनी कर पाए।
उदाहरण स्वरुप आप समझे कि आप चाहते हे कि जब आप अपने नौकरी से रिटायर्ड हो , अर्थार्थ जब आपकी उम्र 60 वर्ष की हो जाये , तब तक आपके पास एक करोड़ रुपये फण्ड के रूप में हो , और अगर आप अपनी 20 वर्ष के उम्र में यह सोच रहे है तो सबसे बेहतर बचत का रास्ता है की आप अभी से इक्विटी फण्ड में रुपये 5,000 का एक SIP शुरू कर दे , इस पे सामान्यः तह 12 % सालाना रिटर्न आपको प्राप्त हो जाएगा , और जब आप 60 वर्ष के उम्र में रिटायर्ड होंगे तब आपके इस बचत की वैल्यू एक करोड़ रुपये होगी।
आपको यह समझने की जरूरत है कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी जोखिम लेने की क्षमता कम होती जाती है। इसीलिए जब आप अपने लक्ष्यों के करीब जाते हैं तो सुरक्षित ठिकाने पर जाना बुद्धिमानी है। इसलिए जब तक आप 50 या 55 वर्ष के हो जाते हैं, तब तक आप अपने फंड को इक्विटी फंड से डेट फंड जैसे सुरक्षित आश्रय में व्यवस्थित रूप से स्थानांतरित करना शुरू कर सकते हैं। यह लक्ष्य आधारित निवेश का जादू है। यह जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान और मजेदार बनाता है।
अब आप समझ गए होंगे की अपनी भविष्य की आवस्यकताओ को ध्यान में रखते हुए , हम कई छोटे और कई बड़े लक्ष्य निर्धारित करे और उन सब की पूर्ति के लिए , व्यवस्थित ढंग से अपने बचत का निवेश करने से हमारे सभी लक्ष्य आसानी से पुरे हो सकते है। अब हम समझते है की अपने लक्ष्यो का निर्धारण कैसे करे -
आपकी FINANCIAL FREEDUM का FLOWCHART
पहला चरण - आप इस साल क्या प्राप्त करना चाहते हो , क्या आप अपने ऋणों का भुगतान करना चाहते हो , या एक नए घर के डाउन पेमेंट की व्यवस्था करना चाहते हो, अपने बेटे या बेटी के विवाह के लिए धन इकठ्ठा करना चाहते है अथवा अपने रिटायरमेंट के लिए धन की व्यवस्था करना चाहते है।
दूसरा चरण - अब आप कागज कलम उठाये और उस पर लिखे की महीने की आमदनी या सैलरी कितनी है।
तीसरा चरण - अब आप नोट कीजिए अपने महीने के खर्च का ब्योरा।
चौथा चरण - अब इन दोनों का अंतर निकाल ले , यह अंतर ही आपका बचत है।
पांचवा चरण - अब इस बचत का पहला उपयोग अपने द्वारा लिए गए ऋणों को चुकता करने में लगाए , सबसे पहले शुरुआत करे सबसे अधिक ब्याज वाले ऋण से और तत्पश्चात उससे छोटे , क्रमशः , इस तरह सबसे पहले अपने ऋण से मुक्ति पाए।
छठवा चरण - अब अपने बचत को अपने बचत खाते में उतना बचा कर रखे , जिससे आपका 6 माह का खर्च आसानी से पूरा हो जाये। यह एक EMERGENCY FUND के रूप में कार्य करेंगा , जब आपकी आमदनी कम हो जाएँगी या किसी कारणवश समाप्त हो जाएँगी तो यह उस समय काम आयेंगा।
सातवा चरण - इसके पश्चात् बचत किये हुए रकम से अपने लिए जीवन बिमा पालिसी ले ले , ध्यान दे की यह पालिसी आजीवन होनी चाहिए , इसके पश्चात अब आप अपने लिए और अपने परिवार के लिए एक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान ले लेवे।
आठवा चरण - अब आप अपनी अतिरिक्त बचत को म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट करे।
दोस्तो, हम इक्विटी फंड में निवेश करें या डेट फंड, में यह निवेशक के सामने बड़ा प्रश्न है। इस अनिश्चितता की स्थिति में हाइब्रिड म्युचुअल फंड निवेश का बेहतर विकल्प हो सकता है.
हाइब्रिड फंड आमतौर पर इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं. जबकि कुछ गोल्ड जैसे अन्य सेट्स क्लास को भी कवर करते हैं। हाइब्रिड फंड्स long-term के निवेश के साधन है. इनमें आम तौर पर नुकसान का जोखिम कम होता है। डायवर्सिफिकेशन के लाभ के कारण इनमें उतार-चढ़ाव अपेक्षाकृत कम होता है. इन से किसी एक एसेट क्लास में जरूरत से अधिक निवेश का जोखिम कम हो जाता है। FUND REBALANCE होता रहता है। हाइब्रिड फंड के जरिए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से बचते हुए विभिन्न निवेश साधनों का संतुलित लाभ ले सकते हैं।
कंजरवेटिव फंड से मिलती है नियमित आय -
कंजरवेटिव हाइब्रिड फंड - इनके एसेट का 75 से 90% तक डेट में निवेश होता है। यह कम जोखिम के साथ नियमित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
इक्विटी सेविंग फंड्स - इन का फोकस नियमित इनकम जनरेट करने पर होता है। यह शेयर, डेट और आर्बिट्रेज सौदों में मिलाजुला कर निवेश करते हैं। इनकी एसेट का 65% इक्विटी व आर्बिट्रेस सौदो में, जबकि शेष फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश होता है।
दो अलग-अलग मार्केट का फायदा दिलाते हैं आर्बिट्राज फंड -
आर्बिट्रेज फंड : यह फंड कम अवधि के लिए निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। यह अच्छा रिटर्न पाने के लिए लिक्विड फंड का विकल्प हो सकते हैं। इस तरह के फंड का उद्देश्य शेयर बाजार में डेरिवेटिव और कैश मार्केट में खरीद बिक्री कर निवेशकों के लिए रिटर्न पैदा करना है।
अग्रेसिव हाइब्रिड फंड जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए बेहतर -ये एसेट का 80% इक्विटी में निवेश करते हैं। जोखिम लेने वाले निवेशक इसमें निवेश कर सकते हैं।
बैलेंस एडवांटेज फंड - कई एसेट क्लास में निवेश करने वाले यह हाइब्रिड फंड उन निवेशकों के लिए अच्छे हैं जिनके पास मार्केट पर नजर रखने का समय नहीं है।
मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड से पोर्टफोलियो होता है डायवर्सिफाई -
मल्टी ऐसेट एलोकेशन फंड - इस तरह के फंड में कम से कम तीन एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं। इन्हें हर एसेट क्लास में कम से कम 10% निवेश करना होता है। निवेश डायवर्सिफाई होने से किसी एक क्लास का जोखिम कम हो जाता है इनसे ऐसेट एलोकेशन में मदद मिलती है।
जब भी किसी एसेट क्लास की वैल्यू ऊंची होती है, उसमे उतार-चढ़ाव शुरु हो जाता है। इस कारण से इक्विटी जैसे किसी एक एसेट क्लास पर ध्यान न देकर, ऐसे एसेट क्लास पर निवेश करना चाहिए जो कि इक्विटीज, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट और ग्लोबल फण्ड का बैलेंस कम्बनिसन हो।
मल्टी ऐसेट फंड के द्वारा हम इस उद्देश्य की पूर्ती कर सकते है।इससे हम कई एसेट क्लास मे एक साथ निवेश कर सकते है साथ ही साथ यदि किसी एसेट क्लास मे रिस्क ज्यादा हो गया हो तो उसे कम भी कर सकते है ।
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