आज की टॉपिक है कि हम Income tax return कैसे भरे ( How to file Income tax return), यह जानने से पहले हमे यह जानना जरूरी है कि हम Income tax return क्यों भरे, कई लोग यह कहते हुए मिल जाते है कि उनकी Income ढाई लाख से कम है तो वो Income tax return क्यों भरे ,वो तो Tax के दायरे में आते ही नहीं है।
देखिए Income tax return file करने से आपको कोई नुकसान नहीं होता है ब्लकि यह आपके लिए काफी फायदेमंद होता है, अब हम चर्चा करते हैं कि ITR File करने पर हमे कौन से Basics फायदे मिलते है-
लोन मिलने में आसानी -
Income tax return आपके Income का प्रूफ होता है, इसे सभी बैंक और NBFC में अपने Income proof के रूप मे हम submit कर सकते है, और सारे बैंक और NBFC इसे Income proof के तौर पर स्वीकार भी करते हैं, अगर आप नियमित रूप से ITR File करते हैं तो आपको बैंक आसानी से Loan दे देगा। इसके अलावा आप किसी भी Financial institutions से आसानी से लोन के अलावा दुसरी सेवायें भी ले सकते हैं।
वीजा के लिये आवश्यक-
अगर आप किसी दूसरे देश में जा रहे हैं तो वीजा के लिए आप जब आवेदन करते हैं तब आपसे Income tax return माँगा जाता है, कई देशों की वीजा अथॉरिटी वीजा के लिये 3 से 5 साल का ITR मंगाते है। वे ITR के द्वारा यह चेक करते हैं कि जो उनके देश मे आ रहा हैं उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है।
TDS का Refund लेने के लिए-
आप यदि वेतन भोगी कर्मचारी हैं या Commission पर काम करने वाले Agent, या फिर आप अपनी कोई Professional Services provide कर रहे हों, आपको payment करने वाला यदि कोई कंपनी है या फिर ऐसा बंदा है जो कानूनन आपके payments पर TDS काटने के लिए बाध्य हो तो वह आपको TDS काट कर भुगतान करेंगा, यदि आपने किसी बैंक मे Fixed Deposit की हुई है तो बैंक आपको जो भी ब्याज देती हैं उसपर वह TDS की कटौती करती हैं।
ये लोग TDS की कटौती कर Income tax Department मे आपके PAN number के अंतर्गत जमा करा देते हैं, जिसको आप तभी प्राप्त कर सकते है जब आप तत्कालीन वित्तीय वर्ष का अपना ITR File करें। इसके अलावा आप के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है।
जब आप अपना ITR File करते हैं तब पहले Income tax Department के द्वारा उसका असेसमेंट किया जाता है, यदि आपका Refund बनता है तो वह डिपार्टमेंट के द्वारा आपके Bank खाते में सीधे जमा करा दिया जाता है।
Address Proof के लिए
यदि आप ITR manual भरते हैं और इसे Bypost आप Income tax Department को भेजते हैं तो इसकी ITR रसीद आपके पते पर भेजी जाती, जो Address Proof के तौर पर भी काम आती हैं।
घाटे को Carry Forward करने के लिए-
यदि आप शेयर या Mutual Fund में निवेश करते हैं, और आपको घाटा होता है, तो घाटे को अगले साल Carry Forward कराने के लिये निर्धारित समय सीमा में Income tax return file करना जरूरी होता है, क्योंकि अगले साल यदि आपको Capital Gain होता है तो यह घाटा आपके उपरोक्त फायदे में Adjust हो जाएगा और आप को लाभ पर टैक्स छूट का फायदा मिल जाएगा।
इनकम टैक्स रिटर्न फाईलिंग की तैयारी कैसे करें
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर जो हमारा है कि हम कैसे File करे अपना इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax return filling ki taiyari kaise kare),
हम सैलरी पाने वालो के लिए एक बेहद मुश्किल प्रक्रिया है और जब हमारी जेब से एक मोटी रकम टी.डी.एस. आन सैलरी कह कर हमारी अपनी कंपनी काट लेती है तो बहुत तकलीफ होती है , इस वजह से टैक्स की जब भी चर्चा होती है, लोग उससे बचना चाहते हैं। वजह है टैक्स को लेकर उनके भीतर डर।
उन्हें नहीं मालूम होता कि टैक्स से जुड़े प्रावधानों का उन्हें क्या फायदा मिल सकता है। यह अनिश्चितता दिसंबर में तब और बढ़ जाती है जब लोग अपने नियोक्ता को टैक्स डिक्लेरेशन देने के लिए निवेश के तमाम विकल्पों तलाशते हैं। इस टैक्स सीजन में आपको परेशानी ना हो, इसके लिए यहां कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं।
कमाई का ब्रेकअप समझें:
अगर परिवार में कई लोग काम करते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि सब अलग-अलग टैक्सपेयर हों। अगर पूरे परिवार की कमाई किसी एक व्यक्ति की कमाई के रूप में दिखाएंगे तो टैक्स का बोझ काफी ज्यादा होगा। उतनी ही कमाई अगर कई लोगों को मिलाकर होती है तो परिवार पर टैक्स का बोझ कम हो जाएगा।
INCOME TAX RETURN FILLING में ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण नोट्स -
- अगर आप भारत के निवासी है, तो अपनी Income Tax Return भरते समय उसमे अपनी Foreign Property या Foreign Income की जानकारी जरूर देवे , ऐसा नहीं करने पर आप Black Money Act 2015 के दोषी माने जायेंगे और आपके ऊपर जुर्माना लगाया जा सकता है , और आप पर क़ानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है। इसलिए अपनी Income Tax Return में विदेशी संपत्ति और विदेशी आय की जानकारी अवश्य दे और अगर आपने विदेश में किसी प्रकार के टैक्स का भुगतान किया है तो उसकी डिटेल भी अपनी Return में जरूर देवे।
सैलरी स्ट्रक्चर की प्लानिंग:
● सैलरी का स्ट्रक्चर हमेशा ऐसा रखना चाहिए जिससे ग्रॉस कम हो और टैक्स में छूट का फायदा उठा सकें। टैक्स प्लानिंग के लिए इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं .
● जिनके पास अपना घर नहीं है उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा किराए में जाता है। सरकार किराए की पूरी रकम या उसके एक हिस्से पर टैक्स में छूट देती है।
● अगर लीव ट्रैवल एलाउंस (एलटीए) सैलरी स्ट्रक्चर में है तो इस अलाउंस का टैक्स छूट में इस्तेमाल कर सकते हैं। देश के भीतर आप कहीं भी घूमने जाते हैं तो यात्रा खर्च पर आपको टैक्स में छूट मिलेगी।
● ऑफिस आने-जाने का साल का 19,200 रुपए का खर्च टैक्स के दायरे से बाहर होता है। बिना कोई प्रूफ या रसीद दिए आप इसे क्लेम कर सकते हैं।
रिटायरमेंट सुरक्षित कीजिए:
हम जो कमाते हैं वह सिर्फ आज के लिए नहीं, बल्कि रिटायरमेंट के लिए भी होता है। इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत हर साल 1.5 लाख रु. तक के निवेश पर छूट ले सकते हैं। इसमें पेंशन फंड, प्रोविडेंट फंड, लॉन्ग टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम, रिटायरमेंट फंड आदि शामिल हैं। 1.5 लाख रुपए से ऊपर धारा 80सीसीडी के तहत एनपीएस में 50,000 रुपए निवेश कर सकते हैं।
धारा 80सी के अलावा और विकल्प:आमतौर पर लोग 80सी को डिडक्शन के एकमात्र विकल्प के रूप में देखते हैं। इसके अलावा भी कई विकल्प मौजूद हैं।
80डी के तहत आप अपने परिवार के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 25,000 रुपए तक की छूट ले सकते हैं। और 25,000 रुपए की छूट माता-पिता के इंश्योरेंस पर मिलेगी। वे सीनियर सिटीजन हैं तो छूट सीमा 30,000 रुपए होगी। इस तरह आप कुल 50-55 हजार रुपए तक की छूट ले सकते हैं।
80ई के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर भी छूट मिलती है। इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है। इसके तहत आप अपनी, पति/पत्नी या बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज़ पर ब्याज में छूट ले सकते हैं।
घर खरीदना सबके जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है। होम लोन के ब्याज में हर साल 2 लाख रुपए तक की छूट हासिल की जा सकती है।
कुछ रिलीफ फंड (जैसे पीएम रिलीफ फंड) और चैरिटेबल संस्थाओं को दान पर 80जी के तहत टैक्स में छूट ले सकते हैं। बचत खाते में 10,000 रुपए तक की ब्याज भी टैक्स के दायरे से बाहर है।
आप टैक्स बचाने के और उपाय पढ़ सकते है - टैक्स बचत कैसे करें
प्रश्न - फॉर्म -16 क्या होता है ?
उत्तर - फॉर्म -16 एक टी डी एस सर्टिफिकेट है जो कि एम्प्लोयी को एम्प्लायर द्वारा सैलरी पर टैक्स काटने (टीडीएस) के केस में जारी किया जाता है। एम्प्लायर को फाइनेंसियल ईयर 2022 - 2023 के लिए 15 जून 2023 तक फॉर्म -16 जारी करना होगा। फॉर्म 16 इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के लिए एक इम्पोर्टेन्ट डॉक्यूमेंट है , इसलिए एम्प्लोयी फॉर्म -16 प्राप्त करने के बाद ही रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस शुरू करते है।
फॉर्म -16 के आलावा एनुअल इनफार्मेशन स्टेटमेंट (AIS ) और टैक्सपेयर इनफार्मेशन स्टेटमेंट (AIS ) और टैक्सपेयर इनफार्मेशन समरी (TIS ) में उपलब्ध सूचना को भी फाइलिंग चेक करे , ताकि रिटर्न में कोई गलती न रह जाये।
टी डी एस का और जानकारी प्राप्त करने के लिए देखे -टी डी एस क्या है और टी डी एस की दरे कितनी है ?
SALARY प्राप्त करने वाले व्यक्ति अपने कर की जानकारी के लिए देखे - वेतन के तहत आय पर कर
इनकम टैक्स रिटर्न के लिए कौन सा फार्म का चुनाव करें ?
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए उचित फार्म का चयन भी जरूरी है साथ ही आप अपनी इनकम के स्रोत के हिसाब से रिटर्न का तरीका भी चुन सकते हैं | अगर आप आईटीआर-1 और आइटीआर फॉर्म-4 भर रहे हैं तो आप इसे सीधे ऑनलाइन भरेंगे तो ज्यादा आसानी होगी |
वेतन व्यापार या व्यवसाय से लाभ ,घरेलू संपत्ति से आय , कैपिटलगैन से आय व इनके अलावा अन्य स्रोतों से होने वाली आय को कर योग्य माना जाता है | आय के स्रोत के आधार पर ही करदाता संबंधित फार्म पर रिटर्न दाखिल करता है |आयकर विभाग ने आय के स्रोत के मुताबिक सात रिटर्न फॉर्म तय किए हैं और हर करदाता को यह देखकर कि उसकी आय किस तरह की है , सही फार्म का चुनाव करना चाहिए|
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म
ITR -1 (सहज ) :-
यह फॉर्म उनके लिए है , जिनकी वेतन , पेंशन, किराया, ब्याज या अन्य स्रोतों से होने वाली कुल आय 50,00,000 तक है| यह एन आर आई के लिए नहीं है | इस फॉर्म को निम्नलिखित से आय वाले व्यक्ति भर सकते है-
वेतन से आय करने वाले, पेंशन पाने वाले करदाता, इकलौते मकान के मालिक, अन्य करदाता जिनकी कुल आय सालाना रुपये 50 लाख से कम हो।
आइटीआर 2 :-
व्यक्तिगत अथवा हिंदू अविभाजित परिवार जिनकी आय किसी व्यापार से नहीं है| वो करदाता जिनकी आय के स्रोत में निम्न आय शामिल हो-
Capital Gain से आय, शेयर की आय, विदेशी सम्पत्ति से आय , Creptocurrency से आय और लॉटरी से आय शामिल हो।
आइटीआर 3:-
व्यक्तिगत अथवा हिंदू अविभाजित परिवार जिनकी आय किसी व्यापार से है | उपरोक्त ITR-2 भरने वाले व्यक्ति भी इसको भर सकते हैं साथ ही उनकी आय यदि व्यवसाय से है या Creptocurrency में भी व्यवसाय कर रहे हैं, वो इस ITR को भर सकते हैं।
आइटीआर 4:-
व्यापार और व्यवसाय से आय |ITR-1 भरने वाले समस्त करदाता इसको भर सकते है , रुपये 50 लाख से ज्यादा आय वाले इसको भर सकते हैं, वो करदाता भी इसको भर सकते हैं जिनकी आय मकान किराया या ब्याज से हो। Presumptive Taxation scheme के अंतर्गत ITR File करने वाले करदाता इसको भर सकते हैं।
आईटीआर 5 :-
इसके अंतर्गत Firms , BOIs, LLPs, AOPs ITR भरते हैं।
वह जो व्यक्तिगत , हिंदू अविभाजित परिवार , कंपनी नहीं है अथवा itr-7 को नहीं भर रहे हैं |
आइटीआर 6 :-
सेक्शन 11 के तहत छूट मांगने वाली कंपनियों के अतिरिक्त कंपनियां |
आइटीआर 7:-
वे लोग या कंपनियां जिनको सेक्शन 139(4 ए) या 139 (4 बी) या 139 (4 सी) या 139 (4 डी), या 139(4 ई) या 139 (4 ई) या 139 (4 एफ) के तहत रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है |
इनकम टैक्स से छूट लेने के कुछ प्रमुख रास्ते
यहाँ उपलब्ध सलाह उनके लिए है जो की पुराने टैक्स स्लैब के अंतर्गत अपना रिटर्न दाखिल करना चाहते है।
सेक्शन 80 सी :- इसके तहत आपको सालाना अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक की आय पर छूट मिल सकती है | इसमें आपके द्वारा पीपीएफ , ईपीएफ, बैंक में टैक्स फ्री फिक्स डिपॉजिट, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, ईएलएसएस म्युचुअल फंड, बच्चे की एजुकेशन फीस, जीवन बीमा का प्रीमियम आदि के रूप में जमा राशि पर छूट मिलती है |
सेक्शन 80 सीसीडी:- नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस )इसमें अधिकतम वेतन (मूल +डी ए) का 10 फ़ीसदी जमा किया जा सकता है|
इस जमा पर सालाना ₹50,000 की आय पर छूट मिलती है, तो 80सी के तहत मिलने वाली छूट के अलावा होती है |
सेक्शन 80ईई:- अगर आपके 2016 - 17 में पहली बार घर 50 लाख तक का घर खरीदने के लिए 35 लाख से कम लोन लिया है तो आपको इसके ब्याज पर 50,000 तक की छूट और मिल सकती है |
सेक्शन 80 टीटीए: सेविंग अकाउंट में 10,000 तक के ब्याज पर छूट मिलती है | यह फिक्स जमा पर लागू नहीं होता है| सीनियर सिटीजन सभी तरह के जमा पर ₹50000 रुपये के ब्याज तक छूट ले सकते हैं |
सेक्शन 80 ई: अपने लिए अपने परिवार में किसी के लिए या ऐसे छात्र के लिए शिक्षा लोन के ब्याज पर, जिसके आप कानूनी अभिभावक हो, ब्याज पर पूरी छूट मिलती है|
फॉर्म
26 AS का रिव्यू कैसे करें
इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले फॉर्म 26 26 AS का ठीक से रिव्यू करें। इसके आधार पर इनकम टैक्स रिटर्न भरने में सुविधा होगी औीर गलती होने की गुंजाइश नहीं रहेगी।
● इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट 31 अगस्त अब नजदीक आ रही है। आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26 AS जरूर रिव्यू करना चाहिए। यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में बहुत अहम डाक्युमेंट है।
● टीडीएस की रहती है डिटेल - अगर आपका टीडीएस कटा है तो फॉर्म 26 AS में इसकी डिटेल रहती है। ऐसे में आप फॉर्म 26 AS देख कर इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं और टीडीएस पर रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
● हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की डिटेल - . सबसे अहम बात यह है कि फॉर्म 26 AS में हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की डिटेल रहती है। बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन रिपोर्ट करनी होती है। ऐसे में आप फॉर्म 26 AS चेक करके अपनी हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की डिटेल भी इनकम टैक्स रिटर्न में दे सकते हैं। ऐसा नहीं करने पर इनकम टैक्स विभाग हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन पर टैक्स नोटिस भेज सकता है।
● 2.5 लाख से अधिक सालाना इनकम पर इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी - अगर आपकी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो आपके लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है। मौजूदा समय में 2.5 लाख रुपए तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है।
● अगर आपके एक से ज्यादा खाते हैं और आपने सभी खातों में मिलाकर दो लाख या उससे अधिक की राशि जमा कराई है तो भी आपको इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी।
● यदि आपकी सालाना आय ढाई लाख से कम है तो आप टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे लेकिन ढाई से पांच लाख की आय वालों को 5 फीसदी टैक्स देना होगा। वहीं पांच से 10 लाख तक आय वालों को 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी तक का टैक्स देना होगा।
● 31 जुलाई 2018 से पहले पांच लाख से अधिक आय वाले लोगों को आईटीआर की ई फाइलिंग करनी होगी। जिन लोगों ने रिफंड क्लेम किया है उन्हें भी तय तारीख तक आईटीआर की ई फाइलिंग करनी होगी।
● अब 80 साल या उससे अधिक उम्र वाले लोगों को आईटीआर फॉर्म 1 और आईटीआर 2 के जरिए रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
👉 26AS/AIS/TIS अपडेट हो गए हैं। आयकर रिटर्न का टाइम आ गया। आयकर विभाग के पास करदाताओं की जानकारियों का पिटारा है। कुछ ऐसी जानकारी भी हैं, जो टैक्सपेयर्स भूल चुके। लेकिन इनकम टैक्स के याद है। सभी जानकारियों को ITR के लिए कंसीडर करना पड़ेगा। समय लगेगा। इसलिए समय रहते अपनी रिटर्न भरें। अपने सीए या टैक्स कंसलटेंट से सम्पर्क करें। अगर स्वयं फ़ाइल करते हैं, कोई दिक्कत हो तो आयकर सम्पर्क केंद्र या अपने आयकर अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं.
इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय की जाने वाली सामान्य गलतिया -
आई टी आर फॉर्म चुनने में गलती करना -
आम तौर पर आई टी आर -1 से आई टी आर -4 तक के फॉर्म व्यक्तिगत करदाताओं के लिए होता है। गलत फॉर्म भरने से आपको रिवाइज्ड रिटर्न का नोटिस मिल सकता है। समय पर इसका जवाब न देने पर रिटर्न अमान्य हो सकता है।
FORM-16 और 26 AS को चेक न करना -
इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले इनकम टैक्स की साइट से फॉर्म - 16 डाउनलोड कर ले , और देख ले कि इसमें दी गई जानकारी सही है या नहीं , इसको अपने बैंक कहते और अन्य वित्तीय रिकॉर्ड से चेक कर ले , और मिला ले , किसी भी तरह की गलती करने पर आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है।
ब्याज से आय की जानकारी का न होना -
आपका यदि कोई बैंक डिपाजिट है , आपने यदि कोई फिक्स्ड डिपाजिट कराई है , तब आपको उस जमा पर ब्याज की आय भी मिल रही होगी तो आपको उसकी सूचना भी अपने आई टी आर में देना चाहिए। वैसे यदि उस पर टी डी एस कटा होगा तो वह आपको फॉर्म -16 में दिख जाएगा , अच्छा तो यही होगा की आप एक बार उसका स्टेटमेंट लेकर ब्याज की रकम का पता कर ले।
एनुअल इनफार्मेशन स्टेटमेंट में बचत खाते का विवरण दिखाना चाहिए। सभी श्रोतो से आय की जानकारी के लिए बैंक स्टेटमेंट , म्यूच्यूअल फण्ड , डीमैट , ब्रोकिंग हाउस के स्टेटमेंट को अवश्य देखे।
4. कैपिटल गेन की गलत सूचना देना -
अलग-अलग एसेट क्लास में अलग-अलग नियम के चलते कैपिटल गेन की गरणा में गलती की गुंजाईश रहती है। इसलिए किसी SPECIALIST की मदद से इसका CALCULATION कराना उचित है।
5 . बैंक खातों का विवरण का गलत होना -
अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंक खाते है तो इनसे सम्बंधित कोई गलत जानकारी भरने से INCOME TAX REFUND प्राप्त करने में मुश्किल आ सकती है , इसलिए बैंक का पूरा विवरण सही - सही दे।
5 . INCOME TAX RETURN भरने के पश्चात उसे वेरीफाई न करना -
INCOME TAX RETURN FILE करने के पश्चात उसे वेरिफाई करना भी जरुरी है। ऐसा न करने पर INCOME TAX DEPARTMENT की CENTRAL PROCESSING UNIT उसे PROCESS में नहीं लेंगी . E-VERIFY आप INCOME TAX की साइट पर 120 दिन के भीतर कभी भी कर सकते है।
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