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प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे बनती है ? ( how to make pvt Ldt company)

जब हम व्यापार शुरू करते है तो सबसे पहला प्रश्न हमारे दिमाग में आता है कि व्यापार का स्वरूप क्या होगा , आजकल हम अपनी जरूरत के आधार पर अपने व्यवसाय का स्वरूप चुन सकते है , जैसे -

       Proprietorship

       Partnership firm

       L.L.P.

       Private Limited Company

       Limited Company.

 

यहाँ हम चर्चा करने जा रहे है कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है , और कैसे बनती है ?

 

Table of Contents

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है ?. 1

महत्वपूर्ण एवं नोट करने योग्य बातें .... 1

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता होती है ?. 1

शेयर का अंकित मूल्य ( FACE VALUE OF SHARE) 1

अधिकृत पूंजी ( AUTHORIZED CAPITAL ) 1

चुकता पूंजी ( PAIDUP CAPITAL) 1

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज.. 1

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया... 1

रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करे. 1

SPICe+ FORM - 1

AGILE PRO FORM - 1

Form DIR- 2- 1

Form DIR-3- 1

Form INC 22- 1

कंपनी रजिस्ट्रेशन के चरण.. 1

कंपनी के निगमन के पश्चात की जिम्मेदारियाँ... 1

 

 

 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है ?

व्यापारी जब अपने व्यवसाय को कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड कराता है , और उसके नियमों के अंतर्गत अपने व्यवसाय को चलाना चाहता है , तब उस व्यवसाय को हम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहते है , और उस व्यापार के नाम के अंत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जुड़ जाता है। इसके अंतर्गत हम कंपनी का रजिस्ट्रेशन , कंपनी अधिनियम ,2013 के अंतर्गत कराते है , जिससे हमारे व्यवसाय का हमसे अलग एक नया वैधानिक अस्तित्व बन जाता है , इसका रजिस्ट्रेशन हमें Ministry of Corporate Affaire के दिशानिर्देशों के अंतर्गत The Registrar of Companies के द्वारा कराना पड़ता है।

 

इसके लिए कंपनी में कम से कम दो व्यक्तियों का होना अनिवार्य है , अधिकतम हम दो सौ तक सदस्य बना सकते है , ऐसे व्यवसाय में प्रत्येक सदस्यों की या शेयर धारकों की कंपनी के प्रति दायित्व सीमित होती है। इस प्रकार की कंपनी को अपने शेयर को आम लोगों के बीच या बाजार में बेचने की अनुमति नहीं होती है। इसकी स्थापना के पश्चात् इसके प्रबंधन करने वाले सदस्यों को हम DIRECTOR बुलाते है। प्रत्येक डायरेक्टर या निर्देशक को एक DIN Number ( Director Identification Number ) बनानी पड़ती है , यह उनकी पहचान संख्या होती है , एक व्यक्ति कई कंपनियों में निदेशक के पद पर नियुक्त हो सकते है , परन्तु उनका DIN नंबर एक ही रहता है।

 

भारत में कंपनी अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड ऐसी कंपनियों को काफी विश्वसनीय माना जाता है और इन व्यवसायियों को बाहरी फण्ड जुटाना बहुत आसान होता है।

 

महत्वपूर्ण एवं नोट करने योग्य बातें

       यह कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एवं संचालित होती है।

       इस प्रकार के कंपनी को आम पब्लिक में शेयर बेचने की अनुमति नहीं होती है।

       इसमें कम से कम दो निर्देशक और अधिक से अधिक 200 निदेशक शामिल हो सकते है , सभी का DIN नंबर होना जरूरी है। एक निर्देशक का भारत का निवासी होना जरूरी है।

       कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय भारत में होना चाहिए।

       इसके किसी भी सदस्य की मृत्यु होने या सदस्यता छोड़ने के पश्चात भी कंपनी के अस्तित्व पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है , और कंपनी निर्बाध गति से चलती रहती है।

       कंपनी के नाम के अंत में PRIVATE LIMITED शब्द जुड़ा रहना चाहिए।

       कंपनी का नाम अपने आप में एक UNIQUE नाम होना चाहिए , क्योकि एक ही नाम की दो कम्पनियाँ नहीं हो सकती है , इसके लिए आपको कम्पनी के रजिस्ट्रार (ROC ) से नाम अनुमोदन कराना पड़ता है।

 

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता होती है ?

 

भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना के लिए काफी कम पूंजी की जरूरत होती है , इसके लिए कोई पूर्व निर्धारित धनराशि नहीं है , कंपनी के निर्देशक और शेयर धारक अपनी इच्छा से कोई भी धनराशि का निर्धारण कर सकते है। अपितु कंपनी के पूंजीगत संरचना को ध्यान में रखते हुए , पूंजी निर्धारण की निम्नलिखित परम्परा चली आ रही है -

 

      शेयर का अंकित मूल्य ( FACE VALUE OF SHARE)

शेयर का अंकित मूल्य वह मूल्य है जिस पर कंपनी का एक शेयर INCORPORATE होता है या इसे हम प्रति शेयर मूल्य भी कह सकते है। सामान्यतः कंपनी के एक शेयर का मूल्य रु 1 , रु 10 , रु 100 या रु 1000 रखा जाता है

 

      अधिकृत पूंजी ( AUTHORIZED CAPITAL )

एक कंपनी अपने शेयर धारको को अधिकतम जितने शेयर जारी कर सकती है , उसका सभी शेयर का मूल्य ही कंपनी की अधिकृत पूंजी कहलाता है। आम तौर पर कम्पनिया रु 1,00,000 तक का अधिकृत पूंजी रखती है , थोड़ी बड़ी कम्पनिया इसे रु 10,00,000 तक भी रखती है , वास्तव में इसको कितना रखना है इस पर कोई बंधन नहीं है और एक बार इसे निर्धारित करने के पश्चात भविष्य में यदि जरुरत हो तब हम कुछ अतिरिक्त फीस चूका कर इसे बढ़ा भी सकते है।

 

      चुकता पूंजी ( PAIDUP CAPITAL)

चुकता पूंजी वह रकम है जो कंपनी को शेयर जारी करने के पश्चात प्राप्त या प्राप्त करने योग्य हो जाती है , चुकता पूंजी कभी भी अधिकृत पूंजी से अधिक नहीं हो सकती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

       निर्देशकों का पैन कार्ड

       निर्देशकों का आधार कार्ड

       निर्देशकों के पते का पहचान पत्र ( जैसे आधार कार्ड , वोटर आई डी , ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि )

       निर्देशकों के फोटो

       व्यवसाय का पता प्रमाण ( किरायानामा , बिजली बिल , टेलीफोन का बिल इत्यादि )

       यदि कोई निर्देशक विदेशी है तो उसका पासपोर्ट।

 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

       सबसे पहले कंपनी का एक नाम तय करें और इसे कंपनी रजिस्ट्रार में उस नाम की उपलब्धता के लिए आवेदन करे , सामान्यतः एक साथ 4 से 5 नाम भेजे जाते है , और ऐसे नाम जिस का किसी भी रजिस्टर्ड कंपनी से मिलान नहीं हो पाता है उस नाम का रजिस्ट्रेशन हमें प्राप्त हो जाता है , और हम उस नाम का उपयोग अपनी कंपनी के लिए कर सकते है।

       DSC ( Digital Signature Certificate) के लिए Apply करे।

       DIN ( Director Identification Number ) के लिए Apply करे।

       MOA ( Memorandum of Association) और AOA ( Articles of Association ) File करे।

       Incorporation Certificate ( निगमन प्रमाण पत्र ) प्राप्त करे।

       अपनी कंपनी के नाम पर पैन कार्ड और TAN Number के लिए आवेदन करे।

       कंपनी के लिए एक बैंक खाता ( चालू खाता ) के लिए आवेदन करे।

       कंपनी के लिए जी एस टी नंबर के लिए आवेदन करे।

 

रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करे

 

कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए हमें MCA के वेबसाइट पर जाकर कुछ फॉर्म भरने पड़ते है , और जरुरी दस्तावेज अपलोड करने पड़ते है जैसे -

 

      SPICe+ FORM -

यह फॉर्म दो भागो में होता है , Part-A और Part-B, पार्ट-ए अपने कंपनी का नाम रजिस्टर्ड कराने के लिए होता है , चूँकि आपके कंपनी का नाम Unique होता है और इस रजिस्ट्रेशन के पश्चात कोई दूसरा व्यक्ति उस नाम पर अपना दावा नहीं कर सकता है , इस फार्म में आप 4 से 5 नाम भर कर भेजें , जो नाम उपलब्ध होगा उस नाम से आपके कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

पार्ट - बी फॉर्म का इस्तेमाल हम कंपनी के इनकारपोरेशन हेतु आवेदन करने के लिए करते है, इसके अंतर्गत हम कंपनी के पूंजी ( Capital) की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते है , इसके अंतर्गत हम कंपनी के डायरेक्टर्स की जानकारी , उनके द्वारा ख़रीदे गए शेयर्स की जानकारी , आफिस और फैक्ट्री की रजिस्टरड पते की जानकारी व् कंपनी के वैधानिक क्षेत्र , कंपनी का पैन कार्ड और TAN नंबर की जानकारी दी जाती है। इस फॉर्म के साथ आप निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करते है -

 

       कंपनी के निर्देशकों का पहचान पत्र , उनका आवासीय पते का पुष्टिकरण , और साथ ही घोषणा पत्र जिसमे यह उल्लेख हो कि MOA ( Memorandum of Association) पर हस्ताक्षर कौन करेगा।

       कंपनी के भावी निदेशकों की पासपोर्ट आकार की फोटो।

       AOA ( Articles of Association) और MOA ( Memorandum of Association) पर कम्पनीज इनकारपोरेशन रूल्स 2014 के अंतर्गत व् घोषित हस्ताक्षर कर्ता द्वारा हस्ताक्षर।

       आपके रजिस्टर्ड ऑफिस के मालिकाना हक्क का सबूत।

       किसी भी आपराधिक गतिविधि में लिप्त नहीं है और आगे भी कोई ऐसा कृत्य नहीं करेंगे , इसकी घोषणा FORM-9C में करनी पड़ती है।

       आपको कंपनी के अगले तीन साल का अनुमानित आय व् व्यय का विवरण भी दाखिल करना पड़ेगा।

 

          AGILE PRO FORM -

इस फॉर्म के अंतर्गत हम कंपनी के जी एस टी के रजिस्ट्रेशन की डिटेल , कंपनी के बैंक खाते की जानकारी , और ESIC & PF DEPARTMENT में रजिस्ट्रेशन की जानकारी देते है। इन जानकारियों के साथ निम्न दस्तावेज भी अपलोड करना पड़ता है -

 

       प्रमुख व्यावसायिक स्थल का प्रमाण पत्र।

       उक्त निर्देशक का पहचान पत्र जिसको कंपनी ने बैंक खाता खोलने के लिए अधिकृत किया है।

       उक्त निर्देशक के निवास पहचान पत्र जिसको कंपनी ने बैंक खाता खोलने के लिए अधिकृत किया है।

       EPFO में हस्ताक्षर करने वाले के लिए एक घोषणा पत्र।

       सभी प्रकार के हस्ताक्षरकर्ता के पक्ष में एक RESOLUTION.

       जी एस टी के लिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का घोषणा पत्र।

 

          Form DIR- 2-

इस फॉर्म में हम कंपनी के भावी निर्देशकों के सहमति , सम्मति का विवरण सबमिट करते है। और अपने निदेशकों का विवरण दाखिल करते है।

 

          Form DIR-3-

इस फॉर्म के माध्यम से हम अपने प्रस्तावित/ भावी निर्देशकों का DIN ( Director Indentification Number ) प्राप्त करते है।

 

          Form INC 22-

इस फॉर्म को हम Certificate of Incorporation के प्राप्ति के 30 दिन के भीतर दाखिल करते है और इस फॉर्म में हम कंपनी के रजिस्टरड आफिस की सूचना रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी को देते है।

 

अभी तक हमने देखा कि कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए , और कौन से फॉर्म अपलोड करना है , देखने में यह काफी लम्बी प्रक्रिया लग रही है , परन्तु यदि हम स्टेप बाय स्टेप चले तो यह काफी आसान होगा , आइये देखते है की क्रमशः हम रजिस्ट्रेशन के लिए कौन से कदम उठाएँगे -

 

कंपनी रजिस्ट्रेशन के चरण

पहला कदम  कंपनी के प्रस्तावित निर्देशक , शेयर होल्डर्स , प्रस्तावित हस्ताक्षरकर्ता ये सभी सबसे पहले एक डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के लिए अधिकृत एजेंसी में अप्लाई करें। उपरोक्त एजेंसी Controller of Certification Agency के द्वारा Approved होनी चाहिए।

 

दूसरा कदम  एक बार जब डिजिटल सिग्नेचर बन जाये तब हम फॉर्म DIR-3 भरकर DIN ( Director Identification Number) के लिए Apply कर देते है , इस आप्लिकेशन को रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी Approve करते है , उनके Approval के पश्चात सभी आवेदक को उसका DIN नंबर प्राप्त हो जाता है।

 

तीसरा कदम  अब आप फॉर्म SPICe+ का PART-A भरते है , पार्ट -ए कंपनी के नाम को RESERVE करने के लिए होता है , इसके APPROVAL के पश्चात आपके कंपनी को एक यूनिक नाम मिलता है और साथ ही साथ अपने नाम के अंत में PRIVATE LIMITED या PVT. LTD. शव्द जोड़ने का अधिकार भी।

इसके लिए आपको MINISTRY OF CORPORATE AFFAIRE के अधिकृत साइट https://www.mca.gov.in/mcafoportal/login.do पर जाना होगा , यहाँ पर आप MCA SERVICE TAB को क्लिक करेंगे , उपरोक्त फॉर्म में आप अपनी कंपनी का प्रकार , कंपनी की क्षेऋी ( Company Category) , कंपनी की उपक्षेरीं ( Sub Category of Company ) का उल्लेख अवश्य करें। आप यहां यह विवरण भी देते है की आपकी कंपनी मुख्यतः किस उद्योग के क्षेत्र में कार्य करेंगी।

इस फॉर्म में आप अपनी कंपनी का दो नाम का प्रस्ताव रजिस्ट्रार को भेजते है , वह उसमे से एक नाम आपकी कंपनी के लिए चुनेगा। इस फॉर्म के साथ आपको ऊपर उल्लेखित दस्तावेज और फीस भी जमा करना पड़ता है।

 

चौथा कदम  जब आपकी कंपनी का नाम अधिकृत हो जाये तब आप सबसे पहले कंपनी के नाम का PAN CARD और TAN NUMBER के लिए APPLY कर दे , साथ ही आपको SPICe+ का PART-B भी भर दे , इस फॉर्म में आप अपने प्रस्तावित निर्देशकों का विवरण देते है साथ ही साथ आप कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस का भी विवरण देते है जिसका विवरण मै यहाँ पहले ही दे चूका हु , साथ ही आप ऊपर उल्लेखित दस्तावेज भी इस फॉर्म के साथ अपलोड करते है।

अब आप इस फॉर्म को डाउनलोड करेंगे और इस फॉर्म पर अधिकृत निर्देशक का DSC के द्वारा इस फॉर्म पर हस्ताक्षर करेंगे।

इस फॉर्म के पश्चात बचे हुए और फॉर्म भी आप भर कर साइट पर अपलोड कर ले जैसे कि - AGILE PRO FORM, SPICe+MOA, SPICe+AOA, URC-1 और INC-9.

 

इन सबके पश्चात आपका फॉर्म रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी के पास निरिक्षर के लिए जाता है , यदि उनको कोई गड़बड़ी या त्रुटि नजर आती है तो वो आपको सूचित कर उसे सुधारने के लिए कहते है , इन सबके बाद जब वह पूरी तरह से संतुस्ट हो जाने पर कंपनी के नाम से CERTIFICATE OF INCORPORATION जारी कर देते है , साथ ही कंपनी के नाम से एक CORPORATE IDENTIFICATION NUMBER या CIN जारी कर देते है।

 

 

कंपनी के निगमन के पश्चात की जिम्मेदारियाँ

 

कंपनी के निगमन के पश्चात आपकी जिम्मेदारी काफ़ी बढ़ जाती है , क्योकि कंपनी के वैधानिक अनुपालन ( Statutory Compliance) काफी होती है , आइये देखते है कि जब आपकी कंपनी रजिस्टर्ड हो जाती है उसके पश्चात आपके और क्या क्या कार्य करने पड़ेंगे -

 

  1. DIN का नवनीकरण - आपको अपने DIN ( Director Identification Number ) का हर साल KYC कराना पड़ता है।
  2. कंपनी के कार्य का शुभारंभ करना - आपके कंपनी को CIN नंबर मिलने के 180 दिन के भीतर अपना कार्य शुरू करना होगा अर्थार्थ आप यदि मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है तो आपको अपना उत्पादन 180 दिनों के भीतर शुरू करना होगा। कंपनी के शेयर धारक को अपना सब्सक्रिप्शन मनी 180 दिन के भीतर कंपनी में जमा करना पड़ेगा। इसी अवधि के भीतर आप को कंपनी का एक बैंक खाता भी खुलवाना होगा और उस खाते में PAIDUP CAPITAL का रूपया एक लाख सबसे पहले जमा करे। जमा करने के पश्चात बैंक स्टेटमेंट की एक कॉपी MCA की साइट पर अपलोड करे।
  3. इन्कमटैक्स फाइलिंग - आप को प्रत्येक वर्ष कंपनी का इनकम टैक्स रिटर्न , इनकम टैक्स के साइट पर ITR-6 FORM भरकर सबमिट करना पड़ेगा।
  4. आडिटर की नियुक्ति - कंपनी रजिस्ट्रेशन के 30 दिनों के भीतर कंपनी को एक पंजीकृत , प्रमाणित चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति करनी होती है।
  5. वार्षिक रिटर्न - कंपनी को हर साल MINISTRY OF CORPORATE AFFAIRS ( MCA SITE) पर कंपनी का वित्तीय विवरण ( FINANCIAL STATEMENT) जमा करना पड़ता है। कंपनी को वार्षिक रिटर्न के रूप में AOC-4 और MGT-7 फॉर्म जमा करना पड़ेगा। इन फार्म पर कंपनी के निदेशक और अधिकृत व्यक्ति का हस्ताक्षर DSC ( DIGITAL SIGNATURE CERTIFICATE) द्वारा होना चाहिए।

 

मैंने अपनी जानकारी के अनुसार इस लेख के माध्यम से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की समस्त प्रकिया की जानकारी आपको उपलब्ध करने की कोशिश की है , फिर भी यदि आपको कही कोई कमी या कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट में उत्तर जरूर दे।

धन्यवाद 

 

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