1 अप्रैल 2023 से MSME के लिए लागू इनकम टैक्स के नए प्रावधान (section-43bh ) का वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले विशेष ध्यान रखे, आर्थिक वर्ष 2023-24 के लिए, सरकार ने MSME के लिए आयकर के नए प्रावधान- Section-43bh लागू किए हैं। इन प्रावधानों के अनुसार, माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट से की गई खरीदी/ख़र्चे का डिडक्शन (ट्रेडिंग-प्रॉफिट/लॉस अकाउंट में डेबिट) तभी मिलेगा यदि उसका पेमेंट सप्लायर से तय किये गये क्रेडिट पीरियड (15 दिन या अधिकतम – 45 दिन) मे कर दिया जाता है।
इसे दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते है की बड़ी कंपनियों के ऊपर इस Section-43bh के द्वारा लगाम लगाया गया है , अब कम्पनिया मनमाने तौर पर छोटी कंपनियों को पेमेंट नहीं कर सकती है , Section-43bh के अंतर्गत बड़ी कंपनियों को किसी भी MSME Registered Company (Micro, Small ) से कोई गुड्स या सेवा की खरीदारी करने के बाद 15 दिन के अंतर्गत भुगतान करना अनिवार्य है , और यदि उस कंपनी ने कोई Agreement कर रखा है तो उस स्तिथि में 45 दिन के भीतर पेमेंट करना अनवार्य है । वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए यह भी कहा गया है की MSME से सम्बंधित समस्त कंपनियों के बकाया का भुगतान 31 मार्च 2024 के पहले हो जाना चाहिए , यदि किसी भी बिल का बकाया 45 दिन से अधिक का हो गया तो वह आपकी खरीद उस वित्तीय वर्ष में नहीं मानी जाएगी , और आपके कुल व्यय में से घटा दी जाएगी , जिससे आपकी प्रॉफिट बढ़ जाएगी और उस बढे हुए रकम पर आपको इन्कमटैक्स देना होगा ।
Section-43bh के अंतर्गत MSME से सम्बंधित खरीदारी Accrued Basis Accounting नहीं है .
Section-43bh - नियम अब विस्तार से -
> माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट से की गई खरीदी/ख़र्चे का पेमेंट 31 मार्च को बकाया रहने पर बड़ी टैक्स लायबिलिटी आ सकती है।
> माइक्रो (Micro) इंटरप्राइज का अभिप्राय ऐसी फ़र्म से है जिसका Plant And Machinery (एसी/ कम्प्यूटर/ कार/ 2 व्हीलर/ मशीनरी/ अन्य बिजनेस संपत्तियां) में निवेश 1 करोड़ से ज्यादा नहीं हो और टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा नहीं हो।
> स्मॉल (Small) इंटरप्राइज का अभिप्राय ऐसी फ़र्म से है जिसका Plant and Machinery (एसी/ कम्प्यूटर/ कार/ 2 व्हीलर/ मशीनरी/ अन्य बिजनेस संपत्तियां) में निवेश 10 करोड़ से ज्यादा नहीं हो और टर्नओवर 50 करोड़ से ज्यादा नहीं हो।
> पेमेंट 45 दिन से अधिक समय से बाक़ी है किंतु वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले पेमेंट कर दिया जाता है तो ऐसे केस में उसका डिडक्शन उसी वर्ष में मिल जायेगा।
> यदि पेमेंट 45 दिन के बाद किया गया है तो उस स्थिति में जिस वर्ष में पेमेंट किया गया है उस वर्ष में उसका डिडक्शन मिलेगा।
> ऐसी यूनिट से की गई खरीदी/ ख़र्चे पर ये प्रावधान लागू होंगे चाहे ख़रीददार MSME में रजिस्टर्ड हो अथवा नहीं।
> यदि आयकर स्क्रूटिनी के दौरान आयकर विभाग के क्रॉस कन्फर्मेशन से यह पता चलता है कि आपका सप्लायर माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट है और उसका पेमेंट टाइम लिमिट के बाद में किया है तो वह उस समय भी बकाया पेमेंट को इनकम में जोड़ सकता है।
> यह प्रावधान 1/04/2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से लागू हो गया है।
> आप अपने सेल बिल में अपना उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर (MSME नंबर) एवं अपनी कैटेगरी (माइक्रो / स्मॉल / मीडियम) अंकित कर लेवे जिससे ख़रीददार को आपका MSME के स्टेटस का पता चल जाये।
> ग्रुप फर्म के पेमेंट भी बकाया रह जाते है, इसलिए इसका भी ध्यान रखे।
Section-43bh- नोट -
MSME STATUS कैसे चेक करे
किसी भी पार्टी के MSME का स्टेटस चेक करने के लिए आपके पास उस पार्टी का MSME NUMBER होना चाहिए , इसको आप https://udyamregistration.gov.in/PrintUdyamApplication.aspx पर चेक कर सकते है , यहाँ पर आपको कंपनी की पूरी डिटेल्स पता चल जायेगा , आपको पता चल जायेगा की उपरोक्त कंपनी माइक्रो , स्माल या मीडियम के ग्रुप से सम्बंधित है और वह मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड है या ट्रेडर के रूप में । यह एक्ट कोई नया एक्ट नहीं है यह एक्ट 2006 में ही लागू हो गया था , लेकिन कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता था , अब इनकम टैक्स ने सेक्शन 43 बी के साथ एक भाग एच जोड़ा है .
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