जब हम व्यापार शुरू करते है तो सबसे पहला प्रश्न हमारे दिमाग में आता है कि व्यापार का स्वरूप क्या होगा , आजकल हम अपनी जरूरत के आधार पर अपने व्यवसाय का स्वरूप चुन सकते , जैसे –
> Proprietorship
> Partnership firm
> L.L.P.
> Private Limited Company
> Limited Company.
यहाँ हम चर्चा करने जा रहे है ,कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है , और कैसे बनती है ?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है ?
व्यापारी जब अपने व्यवसाय को कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड कराता है , और उसके नियमों के अंतर्गत अपने व्यवसाय को चलाना चाहता है, , तब उस व्यवसाय को हम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहते है , और उस व्यापार के नाम के अंत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जुड़ जाता है। इसके अंतर्गत हम कंपनी का रजिस्ट्रेशन , कंपनी अधिनियम ,2013 के अंतर्गत कराते है , जिससे हमारे व्यवसाय का हमसे अलग एक नया वैधानिक अस्तित्व बन जाता है , इसका रजिस्ट्रेशन हमें Ministry of Corporate Affaire के दिशानिर्देशों के अंतर्गत The Registrar of Companies के द्वारा कराना पड़ता है।
भारत में कंपनी अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड ऐसी कंपनियों को काफी विश्वसनीय माना जाता है और इन व्यवसायियों को बाहरी फण्ड जुटाना बहुत आसान होता है।
महत्वपूर्ण एवं नोट करने योग्य बातें -
- यह कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड एवं संचालित होती है।
- इस प्रकार के कंपनी को आम पब्लिक में शेयर बेचने की अनुमति नहीं होती है।
- इसमें कम से कम दो निर्देशक और अधिक से अधिक 200 निदेशक शामिल हो सकते है , सभी का DIN नंबर होना जरूरी है। एक निर्देशक का भारत का निवासी होना जरूरी है।
- कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय भारत में होना चाहिए।
- इसके किसी भी सदस्य की मृत्यु होने या सदस्यता छोड़ने के पश्चात भी कंपनी के अस्तित्व पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है , और कंपनी निर्बाध गति से चलती रहती है।
- कंपनी के नाम के अंत में PRIVATE LIMITED शब्द जुड़ा रहना चाहिए।
- कंपनी का नाम अपने आप में एक UNIQUE नाम होना चाहिए , क्योकि एक ही नाम की दो कम्पनियाँ नहीं हो सकती है , इसके लिए आपको कम्पनी के रजिस्ट्रार (ROC ) से नाम अनुमोदन कराना पड़ता है।
एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने के लिए कितनी पूंजी की आवश्यकता होती है ?
शेयर का अंकित मूल्य ( FACE VALUE OF SHARE)
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करे
कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए हमें MCA के वेबसाइट पर जाकर कुछ फॉर्म भरने पड़ते है , और जरुरी दस्तावेज अपलोड करने पड़ते है जैसे-
SPICe+ FORM –
यह फॉर्म दो भागो में होता है , Part-A और Part-B, पार्ट-ए अपने कंपनी का नाम रजिस्टर्ड कराने के लिए होता है , चूँकि आपके कंपनी का नाम Unique होता है और इस रजिस्ट्रेशन के पश्चात कोई दूसरा व्यक्ति उस नाम पर अपना दावा नहीं कर सकता है , इस फार्म में आप 4 से 5 नाम भर कर भेजें , जो नाम उपलब्ध होगा उस नाम से आपके कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
पार्ट – बी फॉर्म का इस्तेमाल हम कंपनी के इनकारपोरेशन हेतु आवेदन करने के लिए करते है, इसके अंतर्गत हम कंपनी के पूंजी ( Capital) की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते है , इसके अंतर्गत हम कंपनी के डायरेक्टर्स की जानकारी , उनके द्वारा ख़रीदे गए शेयर्स की जानकारी , आफिस और फैक्ट्री की रजिस्टरड पते की जानकारी व् कंपनी के वैधानिक क्षेत्र , कंपनी का पैन कार्ड और TAN नंबर की जानकारी दी जाती है। इस फॉर्म के साथ आप निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करते है-
> कंपनी के निर्देशकों का पहचान पत्र , उनका आवासीय पते का पुष्टिकरण , और साथ ही घोषणा पत्र जिसमे यह उल्लेख हो कि MOA ( Memorandum of Association) पर हस्ताक्षर कौन करेगा।
> कंपनी के भावी निदेशकों की पासपोर्ट आकार की फोटो।
> AOA ( Articles of Association) और MOA ( Memorandum of Association) पर कम्पनीज इनकारपोरेशन रूल्स 2014 के अंतर्गत व् घोषित हस्ताक्षर कर्ता द्वारा हस्ताक्षर।
> आपके रजिस्टर्ड ऑफिस के मालिकाना हक्क का सबूत।
> किसी भी आपराधिक गतिविधि में लिप्त नहीं है और आगे भी कोई ऐसा कृत्य नहीं करेंगे , इसकी घोषणा FORM-9C में करनी पड़ती है।
> आपको कंपनी के अगले तीन साल का अनुमानित आय व् व्यय का विवरण भी दाखिल करना पड़ेगा।
पार्ट – बी फॉर्म का इस्तेमाल हम कंपनी के इनकारपोरेशन हेतु आवेदन करने के लिए करते है, इसके अंतर्गत हम कंपनी के पूंजी ( Capital) की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते है , इसके अंतर्गत हम कंपनी के डायरेक्टर्स की जानकारी , उनके द्वारा ख़रीदे गए शेयर्स की जानकारी , आफिस और फैक्ट्री की रजिस्टरड पते की जानकारी व् कंपनी के वैधानिक क्षेत्र , कंपनी का पैन कार्ड और TAN नंबर की जानकारी दी जाती है। इस फॉर्म के साथ आप निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करते है-
AGILE PRO FORM-
FORM DIR-3
FORM INC-22
कंपनी रजिस्ट्रेशन के चरण
पहला कदम 👉 कंपनी के प्रस्तावित निर्देशक , शेयर होल्डर्स , प्रस्तावित हस्ताक्षरकर्ता ये सभी सबसे पहले एक डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के लिए अधिकृत एजेंसी में अप्लाई करें। उपरोक्त एजेंसी Controller of Certification Agency के द्वारा Approved होनी चाहिए।
दूसरा कदम 👉 एक बार जब डिजिटल सिग्नेचर बन जाये तब हम फॉर्म DIR-3 भरकर DIN ( Director Identification Number) के लिए Apply कर देते है , इस आप्लिकेशन को रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी Approve करते है , उनके Approval के पश्चात सभी आवेदक को उसका DIN नंबर प्राप्त हो जाता है।
तीसरा कदम 👉 अब आप फॉर्म SPICe+ का PART-A भरते है , पार्ट -ए कंपनी के नाम को RESERVE करने के लिए होता है , इसके APPROVAL के पश्चात आपके कंपनी को एक यूनिक नाम मिलता है और साथ ही साथ अपने नाम के अंत में PRIVATE LIMITED या PVT. LTD. शव्द जोड़ने का अधिकार भी।
इसके लिए आपको MINISTRY OF CORPORATE AFFAIRE के अधिकृत साइट https://www.mca.gov.in/mcafoportal/login.do “ पर जाना होगा , यहाँ पर आप MCA SERVICE TAB को क्लिक करेंगे , उपरोक्त फॉर्म में आप अपनी कंपनी का प्रकार , कंपनी की क्षेऋी ( Company Category) , कंपनी की उपक्षेरीं ( Sub Category of Company ) का उल्लेख अवश्य करें। आप यहां यह विवरण भी देते है की आपकी कंपनी मुख्यतः किस उद्योग के क्षेत्र में कार्य करेंगी।
इस फॉर्म में आप अपनी कंपनी का दो नाम का प्रस्ताव रजिस्ट्रार को भेजते है , वह उसमे से एक नाम आपकी कंपनी के लिए चुनेगा। इस फॉर्म के साथ आपको ऊपर उल्लेखित दस्तावेज और फीस भी जमा करना पड़ता है।
चौथा कदम 👉 जब आपकी कंपनी का नाम अधिकृत हो जाये तब आप सबसे पहले कंपनी के नाम का PAN CARD और TAN NUMBER के लिए APPLY कर दे , साथ ही आपको SPICe+ का PART-B भी भर दे , इस फॉर्म में आप अपने प्रस्तावित निर्देशकों का विवरण देते है साथ ही साथ आप कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस का भी विवरण देते है जिसका विवरण मै यहाँ पहले ही दे चूका हु , साथ ही आप ऊपर उल्लेखित दस्तावेज भी इस फॉर्म के साथ अपलोड करते है।
अब आप इस फॉर्म को डाउनलोड करेंगे और इस फॉर्म पर अधिकृत निर्देशक का DSC के द्वारा इस फॉर्म पर हस्ताक्षर करेंगे।
इस फॉर्म के पश्चात बचे हुए और फॉर्म भी आप भर कर साइट पर अपलोड कर ले जैसे कि - AGILE PRO FORM, SPICe+MOA, SPICe+AOA, URC-1 और INC-9.
इन सबके पश्चात आपका फॉर्म रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनी के पास निरिक्षर के लिए जाता है , यदि उनको कोई गड़बड़ी या त्रुटि नजर आती है तो वो आपको सूचित कर उसे सुधारने के लिए कहते है , इन सबके बाद जब वह पूरी तरह से संतुस्ट हो जाने पर कंपनी के नाम से CERTIFICATE OF INCORPORATION जारी कर देते है , साथ ही कंपनी के नाम से एक CORPORATE IDENTIFICATION NUMBER या CIN जारी कर देते है।
कंपनी के निगमन के पश्चात की जिम्मेदारियाँ
कंपनी के निगमन के पश्चात आपकी जिम्मेदारी काफ़ी बढ़ जाती है , क्योकि कंपनी के वैधानिक अनुपालन ( Statutory
Compliance) काफी होती है , आइये देखते है कि जब आपकी कंपनी रजिस्टर्ड हो जाती है उसके पश्चात आपके और क्या
क्या कार्य करने पड़ेंगे -
DIN का नवनीकरण -
कंपनी के कार्य का शुभारंभ करना -
इन्कमटैक्स फाइलिंग -
आडिटर की नियुक्ति -
वार्षिक रिटर्न -
मैंने अपनी जानकारी के अनुसार इस लेख के माध्यम से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की समस्त प्रकिया की जानकारी
आपको उपलब्ध करने की कोशिश की है , फिर भी यदि आपको कही कोई कमी या कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट में
उत्तर जरूर दे।
धन्यवाद 🙏
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