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Income Tax Section 194 C (धारा 194सी की सम्पूर्ण  जानकारी हिंदी में)

 भारत में, आयकर अधिनियम विभिन्न भुगतानों पर स्रोत पर कटौती (टीडीएस) का mandate देता है। Income Tax Section 194 C विशेष रूप से ठेकेदारों और सब-ठेकेदारों को किए गए भुगतानों पर लागू टीडीएस से संबंधित है। यह ब्लॉग व्यवसायों और ऐसे भुगतान करने वाले व्यक्तियों के लिए धारा 194C के प्रावधानों को समझने का एक प्रयास है।

धारा 194C के तहत किसे टीडीएस कटौती करनी चाहिए?

Income Tax Act 1961 के Income Tax Section 194 C के अनुसार, कोई भी व्यक्ति (भुगतानकर्ता) जो ठेकेदारों या उप-ठेकेदारों को निर्दिष्ट कार्य के लिए भुगतान करता है, वह भुगतान सीमा ( Threshold Limit) पार हो जाने पर टीडीएस काटने के लिए जिम्मेदार होता है। यह व्यवसायों, संगठनों और यहां तक कि व्यक्तियों पर भी लागू होता है।

धारा 194C के तहत निम्न को टीडीएस की कटौती करनी चाहिए -

  • केंद्र या राज्य सरकार (Central or State Government);
  • स्थानीय प्राधिकारी (Local Authority)
  • केंद्रीय या राज्य कानून के तहत स्थापित कोई भी निगम; (Any Corporation established under Central or State Law)
  • कंपनी (Company)
  • ट्रस्ट (Trust)
  • सहकारी समितियाँ (Co-operative Societies)
  • सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी (Society registered under Societies Registration Act)
  • कोई भी संस्था जो शहरों, कस्बों और गांवों की योजना, विकास या सुधार के लिए या दोनों के लिए आवास व्यवस्था का काम कर रही हो; (Any institution doing the work of housing accommodation or for the purpose of planning, development or improvement of cities, towns and villages or for both)
  • केंद्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम के तहत या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत स्थापित या निगमित कोई भी विश्वविद्यालय (Any universities established or incorporated by or under a Central, State or Provincial Act or under section 3 of the University Grants Commission Act, 1956).
  • कोई भी फर्म (Any firm)
  • कोई भी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार या व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय, चाहे निगमित हो या नहीं, पूर्ववर्ती खंडों में से किसी के अंतर्गत आने वाले लोगों के अलावा, जिनकी कुल बिक्री, टर्नओवर या व्यवसाय या पेशे से सकल प्राप्तियां होती हैं वे उस वित्तीय वर्ष से ठीक पहले वाले वित्तीय वर्ष के दौरान धारा 44AB(बी)(ए) के तहत निर्दिष्ट मौद्रिक सीमा से अधिक हैं ( निर्दिष्ट मौद्रिक सीमा जो वित्तीय वर्ष 2022 - 2023 में 10 करोड़ कर दिया गया था) , जिसमें ऐसी राशि ठेकेदार के खाते में जमा या भुगतान की जाती है। ( Any individual or a Hindu Undivided Family or an Association of person or a body of individuals, whether incorporated or not, other than those falling under any of the preceding clauses , whose total sales, turnover or gross receipts from the business or profession carried on by them exceeds the monetary limits specified under section 44AB(b)(a) during the financial year immediately preceding the financial year in which such sum is credited or paid to the account of the contractor)
Income Tax Section 194 C

धारा 194C के तहत टीडीएस कटौती की सीमा क्या है?

  • यदि किसी एकल अनुबंध के लिए भुगतान ₹30,000 से अधिक नहीं है तो कोई टीडीएस आवश्यक नहीं है।
  • हालांकि, यदि वित्तीय वर्ष के दौरान उसी ठेकेदार को किए गए कुल भुगतान ₹1,00,000 (भले ही व्यक्तिगत भुगतान ₹30,000 से कम हों) से अधिक हो जाते हैं, तो टीडीएस कटौती अनिवार्य हो जाती है।

धारा 194C के तहत टीडीएस कटौती की दर क्या है?

टीडीएस कटौती की दर ठेकेदार के प्रकार पर निर्भर करती है:

  • 1%: यदि भुगतान किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) को किया जाता है.
  • 2%: यदि भुगतान किसी अन्य संस्था (कंपनी, साझेदारी फर्म आदि) को किया जाता है,

क्या धारा 194C के तहत टीडीएस से कोई छूट है?

हां, कुछ स्थितियां हैं जहां टीडीएस कटौती लागू नहीं होती है:

  • व्यक्तिगत उपयोग के लिए किए गए भुगतान (उदाहरण के लिए, आपके घर की मरम्मत)
  • ट्रांसपोर्टरों को भुगतान (धारा 194Q के अंतर्गत कवर किया गया)

क्या होगा अगर ठेकेदार के पास पैन कार्ड नहीं है?

यदि ठेकेदार स्थायी खाता संख्या (पैन) प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो कटौती करने वाले (भुगतानकर्ता) को पूरे भुगतान पर 20% की उच्च दर से टीडीएस काटना होगा।

याद रखें:

  • भुगतान करने से पहले ठेकेदार से वैध पैन कार्ड प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
  • यदि लागू हो, तो ठेकेदार फॉर्म 15G/15H जमा करके कम या शून्य टीडीएस कटौती का दावा कर सकते हैं।
  • कटौती गई टीडीएस को निर्धारित समय सीमा के भीतर सरकार के पास जमा करना होगा।

धारा 194Q के अंतर्गत आने वाली सेवाएं -

  • विज्ञापन सेवा (Advertising)
  • प्रसारण और संचार सम्बन्धी (Broadcasting and Telecasting Services)
  • माल या यात्रियों का ढुलाई/स्थानांतरण (रेलवे को छोड़कर) (Transfer of goods or passengers except by railway)
  • खानपान सम्बंधित सेवा (Catering)

इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी सेवाएं है जिन्हे आयकर विभाग ने अथवा कोर्ट ने समय - समय पर अपनी निर्णय के जरिये 194 "C" के अंतर्गत जोड़ा है -

* मजदूरों की आपूर्ति को भी "Contact" मानते हुए , सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 194 "C" में जोड़ा गया है , यह निर्णय आया था असोसिएटेड सीमेंट कंपनी के ""Case Number- 201 ITR-435" के माद्यम से ।

* बस के द्वारा भी यदि माल की ढुलाई होती है तो वह भी धारा 194-C के अंतर्गत माना जायेगा ।( (Circular No 458 of CBDT dated 20.03.1990)

* अपना कार्य किसी दूसरी पार्टी को करने के लिए देना भी धारा 194-C के जॉबवर्क के अंतर्गत माना जायेगा । (United Excise v/s CMT. 28 STC 16)

* किसी मकान या दूकान में खिड़की और दरवाजे लगाने का कार्य भी धारा 194-C के अंतर्गत माना जायेगा । (M. Muthiya Achari and sons v/s State of Madras. STC 350)

* समयावधि अंतराल में प्रकाशन (Periodical Publication), इस प्रकार का प्रकाशन का कार्य भी "CONTRACT" माना जायेगा और धारा 194-C के अंतर्गत माना जायेगा। (Income tax Commissioner v/s Kumudam Publication Pvt. Ltd. 188 ITR 84.)

* अग्रिम भुगतान यदि किसी भी "CONTRACT" का है तो उस पर भी टीडीएस की कटौती की जाएगी , यदि कुल कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू 30000 या 30000 से अधिक का हो ।( उपरोक्त वर्णित सीमा के अंतर्गत )

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